मशहूर गजल गायक पंकज उधास ने मंगलवार सुबह 11 बजे फानी दुनिया को अलविदा कह दिया। 72 साल के गजल गायक उधास पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। इसकी जानकारी उनकी बेटी नायाब ने यह दुख:द खबर सोशल मीडिया पर दी। पंकज उधास को पहचान फेमस गजल चिट्ठी आई है से मिली थी। उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया पर दुखद समाचार की पुष्टि की, ‘बहुत भारी मन से हम आपको लंबी बीमारी के कारण 26 फरवरी 2024 को पद्मश्री पंकज उधास के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हुए दुखी हैं।
10 दिन पहले पंकज उधास को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद परिवारवालों ने अस्पताल में भर्ती कराया था। हालांकि डॉक्टर उनकी सेहत पर नजर रख रहे थे, लेकिन पंकज उधास ने सोमवार 11 बजे आखिरी सांस ली। एक पारिवारिक सूत्र ने बताया कि पंकज उधास का ब्रीच कैंडी अस्पताल में पूर्वाह्न 11 बजे के करीब निधन हो गया। उधास ने ‘नाम’, ‘साजन’ और ‘मोहरा’ सहित कई हिंदी फिल्मों में पार्श्व गायक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।
उन्होंने 1981 में ‘मुकर्रर’, 1982 में ‘तरन्नुम’, 1983 में ‘महफिल’, 1985 में ‘नायाब’ और 1986 में ‘आफरीन’ जैसी कई हिट एलबम दिए। उन्होंने संगीत प्रेमियों को 50 से अधिक एलबम और सैकड़ों संकलन एलबम (Compilation Albums) दिए। गजल गायक के रूप में सफल होने के बाद उन्हें महेश भट्ट की एक फिल्म ‘नाम’ में परफॉर्म करने और गाने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्हें 1986 में आई इस फिल्म के गजल ‘चिट्ठी आई है’ से काफी प्रसिद्धि भी। इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए पार्श्वगायन किया। ‘चिट्ठी आई है’ प्रस्तुति देने के बाद पंकज ने ‘ये दिल्लगी’, ‘साजन’ और ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ जैसी फिल्मों में भी प्रस्तुति दी थी। दुनिया भर में एलबम और लाइव कॉन्सर्ट ने उन्हें एक गायक के रूप में प्रसिद्धि दिलाई. 2006 में पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
हिंदी सिनेमा में भी पंकज उधास के गाए गाने हर किसी की जुबान पर रहे। ना कजरे की धार..., रिश्ता तेरा मेरा सबसे है..., और भला क्या मांगू मैं रब से..., मत कर इतना गुरूर... जैसे गाने आज भी लोग गुनगुनाते रहते हैं। बता दें कि 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में जन्मे पंकज उधास तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। जमींदार परिवार में उनका जन्म हुआ था। उनके दादा भावनगर राज्य के दीवान थे। पंकज उधास के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। उनकी मां जीतूबेन उधास को संगीत का बहुत शौक था। ऐसे में उनके पूरे परिवार में माहौल संगीत का था और सभी भाइयों का भी संगीत में रुझान रहा।
पंकज उधास के बारे में बताया जाता है कि वह गायकी को कभी अपना प्रोफेशन नहीं बनाना चाहते थे। लेकिन, बचपन से ही पंकज का चूकि संगीत के प्रति रुझान रहा था इसलिए वह समय के साथ इसमें ढलते चले गए। एक बार स्कूल के प्रोग्राम में उन्हें गायकी में इनाम के तौर पर 51 रुपए मिले जो उनकी पहली कमाई थी। पंकज के भाई मनहर उधास और निर्जल उधास पहले से ही संगीत के दुनिया के जाने माने नाम थे। ऐसे में पंकज उधास के माता-पिता ने उनका दाखिला राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया। उन्हें पता था कि वह इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। बॉलीवुड में लंबे संघर्ष के बाद भी पंकज को काम नहीं मिला। वह तब तक कई बड़े स्टेज शो कर चुके थे। उन्होंने पहली फिल्म 'कामना' में अपनी आवाज में गाना गाया लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई और पंकज को इसकी वजह से ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिल पाई। इससे आहत होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने के फैसला कर लिया।
पंकज उधास को विदेश में खूब प्रसिद्धि मिली और वहां उनकी आवाज को खूब पहचाना गया। फिर मशहूर अभिनेता राजेंद्र कुमार की तरफ से उनके पास फोन आया और उनकी आवाज से इंप्रेस होकर उनसे एक गाना गाने की सिफारिश की और फिल्म में कैमियो करने के बारे में भी कहा। पंकज ने तब इसके लिए मना कर दिया। ये बात जब मनहर उधास को राजेंद्र कुमार ने बताई तो उन्होंने इसे लेकर पंकज से बात की। इसके बाद उन्होंने फिल्म 'नाम' में ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी।
राजेंद्र कुमार ने जब यह गजल अपने सबसे अच्छे दोस्त राज कपूर को सुनाई तो वो रो पड़े। गजल गायकी से उनका प्यार यहीं से परवान चढ़ा और फिर उन्होंने इसके लिए उर्दू सीखी।
11 फरवरी 1982 को पंकज उधास ने फरीदा से शादी की। दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड की शादी में हुई थी। तब पंकज पढ़ाई कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। फिर दोनों के बीच दोस्ती हुई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई। पंकज और फरीदा शादी करना चाहते थे। पंकज उधास के परिवार को इससे आपत्ति नहीं थी लेकिन फरीदा के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। पंकज अपनी शादी की बात करने खुद फरीदा के घर चले गए और फिर फरीदा के परिवार वालों की मंजूरी से दोनों की शादी हो गई। उनकी दो बेटियां नायाब और रेवा हैं।
51 रुपए की पहली कमाई करने वाले पंकज उधास मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने परिवार के लिए 25 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति छोड़ गए। पंकज उधास को 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह हिंदी और अन्य भाषाओं में कई हिट गाने गा चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंकज उधास के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "हम पंकज उधास जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, जिनकी गायकी कई तरह की भावनाओं को व्यक्त करती थी और जिनकी ग़ज़लें सीधे आत्मा को छूती थीं। वो भारतीय संगीत के एक प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी धुनें पीढ़ियों से चली आ रही थीं। मुझे पिछले कुछ वर्षों में उनके साथ हुई अपनी विभिन्न बातचीतें याद हैं। उनके जाने से संगीत जगत में एक खालीपन आ गया है, जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं. शांति।"
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "पंकज उधास जी ने अपनी मधुर आवाज से कई पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध किया। उनकी ग़ज़लों और गीतों ने हर उम्र और वर्ग के लोगों के दिलों को छुआ। आज उनके चले जाने से संगीत की दुनिया में एक बड़ी रिक्तता आई है, जिसे लम्बे समय तक भर पाना मुश्किल है। वे अपने गीतों और ग़ज़लों के माध्यम से सदैव हमारे बीच रहेंगे। मैं शोकाकुल परिजनों और उनके प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूँ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें। ॐ शांति शांति"
एक लोकप्रिय स्वर साधक की विदाई - मुख्यमंत्री डॉ.यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रसिद्ध गायक पद्मश्री पंकज उधास के निधन पर दुख व्यक्त्किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रसिद्ध गीत और गजल गायक पंकज उधास का निधन गायन के क्षेत्र में बड़ी क्षति है। उनके निधन से एक लोकप्रिय स्वर साधक की विदाई हो गई है। बहुत छोटी उम्र से उन्होंने संगीत केरियर शुरू किया था। चिट्ठी आई है...... चांदी जैसा रंग तेरा और न कजरे की धार.... जैसे मधुर गीतों से उनकी पहचान बनी थी। वे मध्यप्रदेश में अनेक अवसरों पर कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए पधारे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दिवंगत पंकज उधास की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
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