26-Apr-2024

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दिनभर चली दलीलें, सुनवाई गुरूवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए टली

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नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट तुरंत कराने के राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अर्जी पर सुनवाई के दौरान तमाम वकीलों ने जोरदार दलीलें पेश की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने बेंगलुरु में विधायकों को बंधक बना रखा है। कांग्रेस ने कहा कि जब तक इस्तीफा दे चुके विधायकों की सीटों पर चुनाव न हो जाए, तब तक के लिए फ्लोर टेस्ट टाल दिया जाए। जब कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि केवल 6 विधायकों को ही इस्तीफे क्यों स्वीकार किए तो वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे मंत्री थे। इस बीच, शिवराज सिंह की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने इसे कांग्रेस की चाल बताई। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट कहे तो वह सभी 16 विधायकों को पेश करते हैं, इसपर अदालत ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कल यानि गुरूवार को 10.30 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी है।

शिवराज सिंह चौहान की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के आदेश पूरी तरह कानून सम्मत हैं। एस आर बोम्मई केस में साफ किया जा चुका है कि अगर मुख्यमंत्री शक्ति परीक्षण से इंकार करते हैं तो यह माना जा सकता है की सरकार के पास बहुमत नहीं बचा है। सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर से पूछा कि विधायकों के इस्तीफों पर अब तक फैसला क्यों नहीं लिया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि स्पीकर सहमत नहीं हैं तो वे इस्तीफों को नामंजूर कर सकते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के बागी विधायकों से मिलने की बात पर इनकार कर दिया है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए बागी विधायकों के त्यागपत्रों के मामले में जांच की आवश्यकता है। वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से रिक्त विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने तक शक्ति परीक्षण स्थगित करने की मांग की। कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के लिए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा, 'कानून का कोई सिद्धांत नहीं है कि उन्हें किसी से मिलने के लिए मजबूर करने के लिए। हमारा अपहरण नहीं किया गया है. हम एक सीडी में इस सबूत को अदालत में पेश कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट - हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते। देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहें करें। सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें।
रोहतगी की दलील- अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है।
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि हम सभी 16 विधायकों को जजों के चैंबर में पेश करने को तैयार हैं।
कोर्ट ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया।
बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इन विधायकों ने वैचारिक मतभेद के कारण इस्तीफा दिया है। मुद्दा स्पीकर के संवैधानिक दायित्वों का है। 
क्या वो अनिश्चित काल तक त्यागपत्र को विचाराधीन रख सकते हैं?
क्या वो चुपचाप बैठे रहेंगे और कोई कदम नहीं उठाएंगे। 
कमलनाथ सरकार भरोसा खो चुकी है और उसे बहुमत साबित करना चाहिए। 
अगर कांग्रेस की दलील को मान लिया जाए तो विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार ही नहीं रह जाएगा।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्पीकर के वकील अभिषेक मनुसिंघवी से पूछा कि अगर बेंगलुरु में मौजूद विधायक स्पीकर के सामने कल पेश हो जाते हैं तो क्या वो इस्तीफों पर तुरंत फैसला लेंगे। बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि सुरक्षा कारण से विधायक भोपाल नहीं जाना चाहते।

कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे: आज सुनवाई नहीं हुई तो आसमान नहीं गिर जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई है और अब उनके विधायकों को बंधक बना लिया गया है। बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह: किसी को किसी ने बंधक नहीं बनाया है।

समाचार एजेंसी पीटीआआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिए विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है। मध्य प्रदेश के बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट भारतीय जनता पार्टी की उस मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बहुमत परीक्षण की मांग की गई है और कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। 

मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आर्टिकल 212 सुप्रीम कोर्ट को सदन के भीतर की गई कार्रवाई का संज्ञान लेने से रोकता है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन में किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं, यह तय करने का काम विधायिका का है और हम इसमें दखल नहीं दे रहे हैं।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा तक निर्बाध पहुंच और अपनी पसंद स्वतंत्र रूप से जाहिर करना सुनिश्चित करने के तौर तरीकों पर वकीलों से सहायता करने को कहा। साथ ही कहा कि उसे सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद को जाहिर करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल उसे पता है कि 16 बागी विधायक मध्य प्रदेश में पलड़ा किसी भी ओर झुका सकते हैं। 16 बागी विधायक या तो सीधा सदन के पटल पर जा सकते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें बंधक नहीं बनाया जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है और बहुमत साबित करने की मांग कर रही है। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि बेंगलुरु में उसके विधायकों को बलपूर्वक बंधक बनाकर रखा गया है और बीजेपी लोकतांत्रित सिद्धांतों को नष्ट कर रही है।

मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने 22 में से 6 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया है, जिसकी सिफारिश मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी। साथ ही कांग्रेस ने मांग की है कि फ्लोर टेस्ट से पहले बाकी बचे विधायकों को बेंगलुरु से वापस लाया जाए।

दवे: 16 विधायकों को रिलीज किया जाना चाहिए। विधायक अपने असेंबली इलाके में लोगों के सेवा के लिए होते हैं। वह इस्तीफा देकर इस तरह से नहीं जा सकते हैं। इन विधायकों को रिलीज करने का आदेश दिया जाए इन्हें अपहृत किया गया है। ये अजीबोगरीब स्थिति है। लोगों ने कांग्रेस को 114 सीटें दी और बीजेपी 109 सीटें जीत पाई। सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया। एक स्थायी सरकार 18 महीने से चल रही है। जब गुजरात के एमएलए को बेंगलूर शिफ्ट किया गया तब बीजेपी ने सीआरपीएफ और आईटी डिपार्टमेंट से रेड कराया था। पीएम ने कांग्रेस मुक्त भारत ओपनली कहा है। लेकिन क्या लोकतंत्र में विधायकों की अनुपस्थिति में फ्लोर टेस्ट की इजाजत हो सकती है। क्या हम इस तरह की जिम्मेदारी चाहते हैं। स्पीकर की जिम्मेदारी है कि वह इस्तीफे की वैधता और सत्यता को परखें। सीएम गायब हुए एमएलए को लेकर चिंतित हैं। बीजेपी एक जिम्मेदार पार्टी है क्या ऐसी पार्टी से हम इस तरह की बातें उम्मीद करेंगे। कल को किसी भी पार्टी के विधायक का अपहरण कर लिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट आकर कहा जाएगा कि फ्लोर टेस्ट कराया जाए क्योंकि सरकार बहुमत में नहीं है। अदालत को इस तरह की अर्जी पर विचार नहीं करना चाहिए।

दवे: आज सवाल ये है कि पैसे और ताकत के बल पर कुछ लोग लोकतांत्रिक सिद्धांत को खत्म करने में लगे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए। स्पीकर की ड्यूटी है कि वह देखे कि इस्तीफा अपनी मर्जी से हुआ है या नहीं। इस मामले को संवैधानिक बेंच को रेफर किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की हरकत दोबारा न हो। गवर्नर बीजेपी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं उनसे उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष रहें। (गवर्नर के कामकाज पर हम सवाल उठाते हुए) क्या इस तरह से गवर्नर ऑफिस काम करता है। गवर्नर कहते हैं कि हम आश्वस्त हैं कि आप बहुमत खो चुके हैं ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट करें। गवर्नर कैसे जानते हैं कि बहुमत खो चुके हैं क्या उन्होंने किसी की सुनवाई की?

दवे: (गवर्नर और कमलनाथ के बीच के लेटर पढते हुए) इस तरह की अर्जी को विचार नहीं करना चाहिए। अगर वह लड़ाई चाहते हैं तो कोर्ट के बाहर लड़ें। लेकिन सुप्रीम कोर्ट फोरम का इस्तेमाल इस तरह के केस के लिए नहीं होना चािहए। लेटर कहता है कि विधायक को बेंगलुरु में रखा गया है। स्पीकर आखिरी में मास्टर होता है। लेकिन गवर्नर ने स्पीकर के अधिकार को लांघने की कोशिश की है।

जस्टिस चंद्रचूड़: जब मैने संवैधानिक नैतिककता की बात कही थी तो आलोचना हुआ था लेकिन बीआर आंबेडकर ने इसका इस्तेमाल किया है इसका मतलब है कि संवैधानिक सिद्धांत संवैधानिक नैतिकता से चलाया जा सकता है।

दवे: गवर्नर कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी बहुमत खो चुकी है। कैसे गवर्नर ऑफिस इस बात को जानती है। वह किसी के बारे में अवगत कैसे हैं। जहां तक संवैधानिक नैतिकता का सवाल है तो बीजेपी पूरी तरह से संवैधानिक नैतिकता को खत्म करने पर तुली हुई है। स्थायी सरकार बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट है। गवर्नर का ये काम नहीं है कि रात में सीएम या स्पीकर को कहें कि वह क्या करें।

सुप्रीम कोर्ट: क्या 22 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो चुका है।

राज्य सरकार के विकील अभिषेक मनु सिंघवी: छह का इस्तीफा स्वीकार हुआ है।

दवे: मूल सवाल ये है कि कैसे गवर्नर फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकता है। वह इस बात का फैसला नहीं ले सकते।

शिवराज सिंह चौहान के वकील मुकुल रोहतगी: कांग्रेस वही पार्टी है जिसने 1975 में इमर्जेंसी लगाई थी। पार्टी सिर्फ सत्ता में बने रहना चाहती है। विधायक ने इस्तीफा दे दिया है और वह जनता के पास दोबारा जाना चाहते हैं। ये दलबदल कानून का मामला नहीं है। गवर्नर राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं और उनकी ड्यूटी है कि वह राज्य में सरकार सुनिश्चित करें। संविधान के तहत ये उनका दायित्व है। कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या 1975 में कर चुकी है। ये अजीब जिरह है कि उपचुनाव हो और फ्लोर टेस्ट हो।

जस्टिस चंद्रचूड़: मामले में स्पीकर को पहले इस्तीफा स्वीकार करना होगा। ये जज की तरह नहीं है कि इस्तीफा उनके हाथ में है इस मामले में स्पीकर को संतुष्ट होना है। इस्तीफे को स्पीकर द्वारा टेस्ट किया जाना होता है।

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