Publish Date:09-Oct-2019 18:20:33
महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की तेजी से होगी विवेचना, देरी करने वाले पुलिस अधिकारी होंगे दंडित
डीजीपी द्वारा सभी क्षेत्रीय आईजी को परिपत्र के जरिए निर्देश जारी
भोपाल 09 अक्टूबर 2019/ महिलाओं की सुरक्षा एवं पीडि़त महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने बड़ा फैसला लिया है। पुलिस महानिदेशक श्री विजय कुमार सिंह ने सभी क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षकों को एक परिपत्र जारी किया है। महिलाओं के खिलाफ घटित होने वाले अपराधों की विवेचना समय सीमा में पूरी करने के निर्देश इस परिपत्र के जरिए दिए गए हैं। श्री सिंह ने विवेचना में अनावश्यक देरी करने एवं लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जाँच करने एवं उन्हें दंडित करने के निर्देश भी इसी परिपत्र में जारी किए हैं। उन्होंने विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्परता से विवेचना पूर्ण कर न्यायालय से निराकरण कराने पर बल दिया है।
पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र में जिक्र किया है कि महिलाओं के खिलाफ घटित होने वाले यौन अपराधों के प्रकरणों में दो माह की अवधि में विवेचना पूर्ण करने का वैधानिक प्रावधान है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों की विवेचना एक माह में पूर्ण करने के निर्देश हैं। उन्होंने परिपत्र के जरिए हिदायत दी है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले जिन अपराधों की विवेचना के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित नहीं है, उनकी विवेचना भी तीन माह में पूर्ण की जाए।
परिपत्र के माध्यम से पुलिस महानिदेशक ने निर्देश दिए है कि न्यायालय के निर्णय व निर्देश, पुलिस मुख्यालय के आदेश व निर्देश इत्यादि के पालन में विवेचना सामान्यत: तीन माह में पूर्ण कर ली जाए। परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि जिन प्रकरणों में समय सीमा में विवेचना पूरी नहीं हुई है, उनमें संबंधित पुलिस अधिकारी की जवाबदेही निर्धारित कर उसके खिलाफ विभागीय जाँच की जाए। पुलिस महानिदेशक ने हिदायत दी है कि परिपत्र की प्रति सभी पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप अधीक्षक एवं नगर पुलिस अधीक्षक व अनुविभागीय पुलिस अधिकारियों को भी उपलब्ध कराई जाए।
विवेचना की अवधि के संबंध में स्थायी निर्देश इस प्रकार रहेंगे
पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र के जरिए स्थायी निर्देश जारी किए है कि महिलाओं से संबंधित हर आपराधिक प्रकरण की विवेचना तीन माह से आगे जारी रखने के लिए विवेचक थाना प्रभारी को पहले प्रत्येक प्रकरण में जिला पुलिस अधीक्षक से अलग-अलग आदेश प्राप्त करना होगा। पुलिस अधीक्षक एक बार में अधिक से अधिक एक माह एवं अधिकतम तीन बार ( तीन अतिरिक्त माह) तक के लिए विवेचना आगे बढ़ाने की अनुमति दे सकेंगे। छ: माह से अधिक विवेचना जारी रखने के लिए पुलिस अधीक्षक की अनुमति पर रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक एक बार में दो माह और अधिकतम तीन बार (छ: माह तक) विवेचना जारी रखने की अनुमति दे सकेंगे। इसके बाद एक साल से अधिक विवेचना जारी रखने के लिए क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक एक बार में तीन अतिरिक्त माह के लिए अनुमति देने के लिए अधिकृत किए गए हैं।
विवेचना की अवधि बढ़ाने से पहले प्रत्येक अधिकारी विवेचना की समीक्षा कर पर्यवेक्षण निर्देश जारी करेंगे। साथ ही कारणों सहित स्पीकिंग आर्डर जारी करना होगा कि किन वजहों से विवेचना की अवधि बढ़ानी जरूरी है। अधीनस्थ अधिकारी आदेश की प्रति अपने वरिष्ठ अधिकारी को भी भेजेंगे। हर आदेश में विवेचना पूर्ण करने की नई समय-सीमा भी निर्धारित करनी होगी।
दंड प्रक्रिया संहिता की विभिन्न धाराओं के प्रकरणों पर भी निर्देश लागू होंगे
इस परिपत्र के जरिए जारी किए गए दिशा निर्देश दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के अधीन व लंबित विवेचना पर भी लागू होंगे। साथ ही उन प्रकरणों पर भी लागू होगा जिन प्रकरणों में आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी योग्य साक्ष्य होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है और संबंधित न्यायालय से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 299 के तहत आरोपी की गैरहाजिरी में सुनवाई करने के लिए निवेदन के साथ चालान पेश किया गया है। यदि आरोपी से कोई जब्ती होनी है अथवा फिर साक्ष्य बतौर उसका मेडिकल परीक्षण कराया जाना है तो भी विवेचना लंबित ही मानी जाएगी।