20-Apr-2024

 राजकाज न्यूज़ अब आपके मोबाइल फोन पर भी.    डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लीक करें

यूएन कोर्ट का पाकिस्तान को आदेश, कुलभूषण जाधव की सजा की करे समीक्षा

Previous
Next

अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने बुधवार को व्यवस्था दी कि पाकिस्तान को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गयी फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से फिर से विचार करना चाहिए और राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए। इसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी। इस पर भारत में काफी गुस्सा देखने को मिला था।

अदालत के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अगुवाई वाली 16 सदस्यीय पीठ ने कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और उन्हें सुनाई गयी सजा की ''प्रभावी समीक्षा करने और उस पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया।

पीठ ने कहा कि उसने पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिया था कि मामले में अंतिम फैसला तब तक नहीं आता, तब तक जाधव को सजा नहीं दी जाए। पीठ ने कहा कि वह मानती है कि सजा पर लगातार रोक जाधव की सजा की प्रभावी समीक्षा के लिए अपरिहार्य स्थिति है।

हालांकि पीठ ने भारत की अधिकतर मांगों को खारिज कर दिया जिनमें जाधव को दोषी ठहराने के सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, उन्हें रिहा करने और भारत तक सुरक्षित तरीके से पहुंचाना शामिल है।

ये भी पढ़ें: विएना संधि का किया उल्लंघन, जाधव केस में ICJ ने लगाई PAK को लताड़

पीठ ने एक के मुकाबले 15 वोटों से यह व्यवस्था भी दी कि पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी के बाद राजनयिक संपर्क के भारत के अधिकार का उल्लंघन किया। जजों ने कहा, ''पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण सुधीर जाधव से संवाद करने और उन तक पहुंच के अधिकार से, हिरासत के दौरान उनसे मिलने और उनका कानूनी पक्ष रखने की व्यवस्था करने के अधिकार से वंचित रखा।

जज यूसुफ ने व्यवस्था दी कि पाकिस्तान वियना समझौते के तहत जाधव की गिरफ्तारी और उसे हिरासत में रखने के बारे में भारत को सूचित करने के लिए बाध्य था।

पीठ ने कहा कि भारत को तीन मार्च, 2016 को जाधव की गिरफ्तारी के बारे में सूचित करने में तीन सप्ताह की देरी हुई और इस तरह समझौते के तहत पाकिस्तान की बाध्यता को तोड़ा गया।

अदालत ने कहा कि भारत ने कई बार कंसुलर एक्सेस का अनुरोध किया जिससे पाकिस्तान ने इनकार कर दिया। उसने कहा कि यह निर्विवाद तथ्य है कि पाकिस्तान ने भारत की अपीलों को नहीं माना। अदालत ने कहा कि पाकिस्तान ने इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि भारत द्वारा कथित तौर पर किया गया कोई भी गलत काम पाकिस्तान को उसकी बाध्यता के तहत काम पूरा करने से कैसे रोक सकता है।

पाकिस्तान की इस दलील कि भारत जाधव की राष्ट्रीयता साबित नहीं कर सका है, पर अदालत ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि उसके समक्ष जो साक्ष्य हैं वो जाधव की भारतीय नागरिकता पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते।

  आईसीजे के जज यूसुफ के नेतृत्व में 15 सदस्यीय पीठ ने भारत और पाकिस्तान की मौखिक दलीलों को सुनने के बाद 21 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। मामले की कार्यवाही पूरी होने में दो साल दो महीने का समय लगा।

भारत ने जाधव तक बार-बार कंसुलर एक्सेस से इनकार किये जाने पर पाकिस्तान द्वारा वियना समझौते के प्रावधानों का जबरदस्त उल्लंघन करने के लिए आठ मई, 2017 को आईसीजे का रुख किया था।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों का निस्तारण करने के लिए गठित आईसीजे की पीठ ने 18 मई, 2017 को पाकिस्तान को मामले में फैसला आने तक जाधव को सजा देने से रोका था। पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था। उन पर ईरान से यहां आने के आरोप लगे थे।

हालांकि भारत का मानना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में थे। पाकिस्तान ने आईसीजे में जाधव तक कंसुलर एक्सेस की भारत की याचिका खारिज कर दी थी। उसने दावा किया था कि नयी दिल्ली उसके 'जासूस द्वारा एकत्रित सूचनाओं को पाने के लिए ऐसा चाहती है।

हालांकि पाकिस्तान ने जाधव की मुलाकात उनकी मां और पत्नी से 25 दिसंबर, 2017 को इस्लामाबाद में कराई थी।

इस मामले में फरवरी में चार दिन की सार्वजनिक सुनवाई हुई थी। इसी दौरान पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू कश्मीर में 14 फरवरी को किये गये आतंकी हमले और इसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। आईसीजे में सुनवाई के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपनी विस्तृत याचिकाएं और जवाब दाखिल किये।

मामले में भारत का पक्ष रख रहे अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाया था और संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत से जाधव को सुनाई गयी मौत की सजा को रद्द करने का अनुरोध किया था।

सुनवाई के आखिरी दिन आईसीजे में अपनी दलील में पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी ने कहा था, ''भारत के राहत के दावे को खारिज कर देना चाहिए या अस्वीकार्य घोषित करना चाहिए।

साभार- ला हि

Previous
Next

© 2012 Rajkaaj News, All Rights Reserved || Developed by Workholics Info Corp

Total Visiter:26568331

Todays Visiter:3424