19-Apr-2024

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इस महाराजा के पास था अपना प्लेन और 44 रोल्स रॉयस कारें, हिटलर ने भी दी थी एक कार

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आजादी से पहले देश में जो धनी रियासतें थीं, उसमें पटियाला राजघराना सबसे ऊपर था. महाराजा भूपिंदर सिंह देश के पहले शख्स थे, जिनके पास अपना प्राइवेट प्लेन था. महाराजा की लाइफ स्टाइल ऐसी थी कि अंग्रेज भी उनसे रश्क खाते थे. वो जब विदेश जाते थे तो पूरा का पूरा होटल किराए पर लेते थे. उनके पास 44 रोल्स रॉयस थी जिनमें से 20 रोल्स रॉयस का काफिला रोजमर्रा में सिर्फ राज्य के दौरे के लिए इस्तेमाल होती थीं.

महाराजा भूपिंदर पटियाला घराने के ऐसे राजा रहे हैं. जिनको लेकर बहुत ढेर सारे किस्से रहे हैं. वो भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे. जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को खड़ा किया गया, उसमें महाराजा ने मोटा धन दिया. इसके अलावा 40 के दशक तक जब भी भारतीय टीम विदेश जाती थी तो अमूमन उसका खर्च वो उठाया करते थे लेकिन इसके एवज में वो टीम के कप्तान भी बनाये जाते थे.

महाराजा वो शख्स भी थे, जिनके पास देश का पहला व्यक्तिगत विमान था. इसे उन्होंने 1910 में ब्रिटेन से खरीदा था. विमान उड़ाने और रखरखाव के लिए उनके पास पूरा स्टाफ था. इस विमान के लिए पटियाला में ही विमान पट्टी भी बनाई गई थी. महाराजा अक्सर इससे विदेश की यात्राएं करते थे.

दस रानियां और 300 से ज्यादा उपरानियां

दीवान जर्मनी दास ने अपनी "महाराजा" किताब में पटियाला के महाराजा पर विस्तार से लिखा है. लेपियर कोलिंग की "फ्रीडम एट मिडनाइट" में भी महाराजा की सनक और तड़क-भड़क भरी जीवन शैली का विस्तार से जिक्र हुआ है.

महाराजा ने दस बार शादियां कीं. इसके अलावा उनके हरम में 300 से ज्यादा उपरानियां थीं. इसमें एक से बढ़कर एक सुंदर महिलाएं थीं, जिसमें कई विदेशी भी थीं. महाराजा ने 88 बच्चे पैदा किए. वो जब भी विदेश जाते थे तो उनके साथ एक बड़ा लावलश्कर भी जाता था. वो लंदन या पेरिस में सबसे मंहगे होटल की कई मंजिलों को एकसाथ किराए पर ले लेते थे. उसका पूरा खर्च वो खुद वहन करते थे.
44 रोल्स रॉयस कारें, हिटलर भी था दोस्त

महाराजा के पास एक से बढ़कर एक कारें थीं, जिसमें 44 तो रोल्स रॉयस ही थीं. यहां तक हिटलर ने भी महाराजा को एक कार उपहार में थी. 1935 में बर्लिन दौरे के वक्त भुपिंदर सिंह की मुलाकात हिटलर से हुई. कहा जाता है कि राजा से हिटलर इतने प्रभावित हो गए कि उसने अपनी माय्बैक कार राजा की तोहफे में दे दी. हिटलर से महाराजा की दोस्ती लंबे समय तक रही.

सबसे मंहगा हीरों का हार
वर्ष 1929 में राजा की ठाठ का एक और उदाहरण सामने आया जब उन्होंने कीमती नग, हीरों और आभूषणों से भरा संदूक पेरिस के जौहरी को भेजा। लगभग 3 साल की कारीगरी के बाद ​तैयार हुए इस हार ने खूब चर्चा बटोरी. 25 मिलियन डॉलर की कीमत वाला यह हार देश के सबसे महंगे आभूषणों में से एक है.

महाराजा की अपनी क्रिकेट टीम भी थी
महाराजा पटियाला ने बीसीसीआई के गठन के समय तो बड़ा आर्थिक योगदान तो दिया ही. बाद में बोर्ड को हमेशा मदद करते रहे. मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम का एक हिस्सा उनके योगदान से बना था. वह न केवल भारतीय टीम से खेले बल्कि मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब यानि एमसीसी की टीम में भी रहे. उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश क्रिकेट कोचों को भारत बुलाया. उनके पास अपनी क्रिकेट टीम थी, जो उस समय देश में होने वाले टूर्नामेंटों में खेलती थी, इसमें देश के जाने माने खिलाड़ी खेला करते थे, लाला अमरनाथ भी इसमें शामिल थे.

साभार- न्‍यूज 18

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