हृदय रोगों में चमत्कारी हैं यह 11 आहार...
Publish Date:30-Jul-2016 14:08:27
जीवनशैली और खानपान में परिवर्तन के साथ-साथ बढ़ता तनाव, हृदय रोग के प्रमुख कारण हैं। इससे बचने के लिए पहले से ही सतर्कता के साथ खान-पान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
जानिए कुछ ऐसे आहार जिनके नियमित प्रयोग से हृदयरोग व हृदयाघात से बचा जा सकता है। चमत्कारिक रूप से असर करती हैं यह 11 चीजें ... ।
1. प्याज - इसका प्रयोग सलाद के रूप में कर सकते हैं। इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह ठीक रहता है। कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है या हृदय की धड़कन बढ़ जाती है उनके लिए प्याज बहुत ही लाभदायक है।
2. टमाटर - इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
3. लौकी - इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से कोलोस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू हो जाता है। ताजी लौकी का रस निकालकर पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में दो बार पीना चाहिए।
4. लहसुन - भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह के समय दो कलियांं पानी के साथ भी निगलने से फायदा मिलता है।
5. गाजर - बढ़ी हुई धड़कन को कम करने के लिए गाजर बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएंं, सब्जी खाएं व सलाद के रूप में प्रयोग करें।
6. नींबू - दिन में दो-तीन बार शहद में नीबू का रस डालकर पिएं ।
7. शहद - यह एक ऐसा पदार्थ है जो रक्त में तीव्रता से मिलकर शरीर को ऊर्जा देता है। इससे हृदय को शक्ति मिलती है। थोड़ी-सी घबराहट होने पर नीबू-शहद लेने से कुछ ही देर में आराम हो जाता है।
8. मौसंबी - मौसंबी का रस कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ इसमें उपस्थित गंदगी को भी साफ करता है।
9. अर्जुन की छाल - यह औषधि हृदय रोग में बहुत ही उपयोगी है। इसका पावडर आधा चम्मच एक कप पानी में उबालकर आधा रह जाए तब पी लें। हृदय की सूजन, धड़कनों में तीव्रता, धमनियों में रुकावट आदि समस्या इससे दूर होती है। त्रिफला का प्रात: नियमित सेवन भी असरकारी होता है।
10. अनार - प्रतिदिन एक अनार खाने से या अनार का रस लेने से हृदय रोग में फायदा होता है।
11. अदरक - सीने में जकड़न या सांंस लेने में भारीपन महसूस होने पर अदरक का रस शहद के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
खानपान में सावधानी रखने के अतिरिक्त हृदय रोग होने पर प्राकृतिक उपचार जैसे- वैज्ञानिक मालिश, भाप, छाती की लपेट, एनीमा, सूर्य स्नान, हल्का भाप स्नान आदि चिकित्सालय में ले सकते हैं। यौगिक उपचार तथा अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, भस्रिका का प्राणायाम भी करें।