20-Apr-2024

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रामलला विराजमान को दी जाए विवादित जमीन, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बने- CJI

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नई दिल्ली. अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का बहुप्रतीक्षित फैसला (Decision) आ चुका है. चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने शनिवार सुबह साढ़े दस बजे से इस पर अपना फैसला पढ़ना शुरू किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन रामलला (Ramlala) विराजमन को देने की बात कही. साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) को अयोध्या (Ayodhya) में ही कहीं पांच एकड़ जमीन देने को कहा गया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. शीर्ष अदालत ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है. साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है. वहीं, अदालत में निर्मोही अखाड़ा के सभी दावे खारिज हो गए हैं.

CJI गोगोई ने फैसले में निर्मोही अखाड़ा के सभी दावे खारिज किये 

बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद पर लगातार 40 दिन तक सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ने जिरह के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य पेश किए. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक पर फैसला नहीं किया जाएगा.

सीजेआई रंजन गोगोई शनिवार सुबह जब सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ने आए तो उन्होंने सबसे पहले शांति की अपील की. इसके बाद पांचों जजों की बेंच ने फैसले पर दस्तखत किए. सीजीआई ने कहा कि 1991 के कानून में उपासना स्थल पर पूजा का जिक्र है. इस मामले में किसी ने प्रॉपर्टी राइट क्लेम नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर कब बनी और किसने बनवाई, यह स्पष्ट नहीं है. साथ ही कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के सूट को भी खारिज कर दिया गया.

'कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र में जाना उचित नहीं'

फैसला पढ़ने के दौरान सीजेआई गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र में जाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि अदालत धार्मिक आस्थाओं पर नहीं बल्कि कानून के हिसाब से फैसला लेती है. सीजेआई ने यह भी कहा कि कानून की नजर में सबकी आस्थाएं एक समान है. उन्होंने यह भी कहा कि समानता संविधान का मूल है.

फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता दी. उन्होंने एएसआई के रिपोर्ट का भी जिक्र किया. सीजेआई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनाई गई थी. खुदाई में वहां पर गैर इस्लामिक ढ़ाचा मिला था.

साभार- न्‍यूज 18

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