18-Apr-2024

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से घोटाले की जांच का रास्ता साफ- अभय दुबे

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भोपाल, 16 नवम्बर 2019, प्रदेश कांगे्रस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी एक बयान में बताया कि राफेल प्रकरण में पुर्नविचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने राफेल में हुए भीषणतम भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच के रास्ते खोल दिये है। सही मायने में इस निर्णय के आने के बाद समूची भारतीय जनता पार्टी आत्मग्लानि से ग्रसित हो गयी है।
दुबे ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में यह बात साफ की है कि संविधान के आॅटिकल 32 में अदालत के अधिकार बहुत सीमित हैं। न तो कीमत में हेराफेरी देखने के, न काॅन्ट्रेक्चुअल डिटेल्स देखने के न टेक्नीकल स्पेसिफिकेशन देखने के और न फिजिबिलिटी देखने के अधिकार न्यायालय को हैं। न्यायालय ने उक्त बातें अपने निर्णय के पैरा 19, 67 और 73 में साफ लिखीं हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी इंडिपेंडेंट एजेंसी समेत पुलिस एवं सीबीआई इस मामले की तफ्तीश कर सकती है। बगैर उन पाबंदियों और सीमाओं के जिनके दायरे में सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कर सकती है। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने अपने पैरा 73 और 86 में फिर से कही है।
कांगे्रस पार्टी ने इसलिए ज्वाइंट पाॅर्लियामेंट्री कमेटी से जांच कराने की मांग राफेल मामले में शुरू से ही की थी। क्योंकि जेपीसी के पास अधिकार है कि वे इस घोटाले से जुड़े लोगों को समन करके बुला सकती है। दस्तावेज ले सकती है। जैसे कि सेना के उच्च अधिकारियों के डिसेंट नोट, जिसमें उन्होंने राफेल की खरीदी पर और उसकी बड़ी हुई कीमतों पर सवाल खड़े किये थे।
ऽ अगर जेपीसी से जांच होती तो इस बात का भी खुलासा होता कि क्यों भाजपा की सरकार ने 30 हजार करोड़ के आॅफसेट कांट्रेक्ट में हिन्दुस्तान एरोनाटिकल लिमिटेड को दरकिनार कर दिया?
ऽ क्यों यही आॅफसेट कांट्रेक्ट 12 दिन पुरानी एक कंपनी को दे दिया गया? क्यों 526 करोड़ रू. का राफेल विमान 1670 करोड़ रू. में खरीद कर भारत को 41205 करोड़ में खरीद कर भारत को चूना लगाया गया?
ऽ जब 126 लड़ाकू विमानांे की आवश्यकता हिन्दुस्तान को थी तो उन्हें कम करके 36 क्यों कर दिया गया?
ऽ डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसिजर व कैबिनेट कमेटी आॅन सिक्योरिटी का वैधानिक रास्ता अपनाये बगैर प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से 10 अप्रैल, 2015 को एकतरफा 36 जहाज खरीदने की घोषणा क्यों कि?
ऽ राफेल जहाज का बेंच मार्क प्राईज 5.2 बिलियन यूरो से बढ़ाकर 8.2 बिलियन यूरो क्यों कर दिया गया?
ऽ कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन विंग के एतराज के बावजूद साॅवरेन गारंटी की शर्त भाजपा सरकार ने क्यों हटा दी?
ऽ मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राकेश सिंह स्वयं सांसद हैं, क्या वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार राफेल की जांच किसी निष्पक्ष संस्था से कराने के लिए तैयार हैं? क्या जेपीसी जांच के लिए वे सदन में पहल करेंगे। इसका जबाव हर हाल मंे धिक्कार दिवस मनाने वालों को देना चाहिए, अन्यथा इतने भीषणतम भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज न उठाने से बड़ा धिक्कार कुछ नहीं हो सकता।

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