Publish Date:18-Sep-2019 14:59:30
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाथ से मैला साफ करने के दौरान सीवर में होने वाली मौतों पर चिंता जताने के साथ ही सख्त टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी देश में लोगों को मरने के लिए गैस चैंबर्स में नहीं भेजा जाता है. बता दें कि भारत में मैनुअल स्केवेंजिंग (Manual scavenging) या हाथ से मैला ढोने की प्रथा को प्रतिबंधित किया जा चुका है, लेकिन अभी भी देश में यह गंभीर समस्या बनी हुई है.
हर महीने चार से पांच लोग गंवा रहे हैं अपनी जान
सुप्रीम कोर्ट ने हाथ से मैला साफ करने वाले लोगों को सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण (Security Equipments) मुहैया नहीं कराने को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) की फटकार (Reprimanded) लगाई. कोर्ट ने कहा कि हाथ से मैला साफ करने के कारण हर महीने चार-पांच लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन देश में जाति के आधार पर अब भी भेदभाव जारी है.
1933 से अब तक 620 लोगों की हो चुकी है मौत
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के आंकड़ों के मुताबिक, 1993 से अब तक इस प्रथा के कारण कुल 620 लोगों की मौत हो चुकी है. अब तक 445 मामलों में मुआवज़ा दिया चुका है, 58 मामलों में आंशिक समझौता किया गया है और 117 मामले लंबित हैं. इस मामले में 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने मंत्रालय के साथ जानकारी साझा की है, जिसके अनुसार अकेले तमिलनाडु में ही ऐसे 144 मामले दर्ज़ किए गए हैं.
साभार- न्यूज 18