19-Apr-2024

 राजकाज न्यूज़ अब आपके मोबाइल फोन पर भी.    डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लीक करें

निर्भया के दोषियों की फांसी में देरी के बाद SC पहुंची सरकार, कहा- 7 दिन में हो फांसी

Previous
Next

अब अभियुक्तों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे मिलेगी फांसी

नई दिल्ली, 22 जनवरी 2020, निर्भया के दोषियों की फांसी में हो रही देरी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि मृत्युदंड के मामलों में दोषी को दी गई सजा पर अमल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन सिर्फ अपराधी के हितों की बात करती है. यह गाइडलाइन पीड़ित को राहत देने की बजाय दोषियों को ही राहत देती है और राहत के विकल्प मुहैया कराने पर फोकस रखती है.

केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई गाइडलाइन को चुनौती दी गई है. शीर्ष कोर्ट ने शत्रुघ्न चौहान बनाम सरकार के मामले में फैसला सुनाते हुए यह गाइडलाइन जारी की थी. केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में दलील दी कि यह गाइडलाइन सिर्फ दोषी और अपराधी के अधिकारों की हिमायती है. पीड़ित पक्ष के अधिकारों को लेकर यह गाइडलाइन पूरी तरह से खामोश है, जबकि दोनों पक्ष के बीच संतुलन होना चाहिए. यह गाइडलाइन एकतरफा है.

फांसी की तारीख बदले जाने पर छिड़ी है बहस

निर्भया के दोषियों के हर बार कोर्ट पहुंचे और फांसी की तारीख बदले जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. केंद्र सरकार ने कहा कि अगर राष्ट्रपति द्वारा किसी दोषी की दया याचिका खारिज हो जाती है, तो उसे सात दिन के अंदर फांसी दे दी जाए. उसकी पुनर्विचार याचिका या क्‍यूरेटिव पिटीशन को कोई अहमियत नहीं दी जानी चाहिए.

केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में कहा कि अगर कोई अपराधी राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करना चाहता है, तो डेथ वारंट जारी होने के सात दिन के अंदर ही उसे ऐसा करने की इजाजत दी जाए. इसके बाद उसको दया याचिका दाखिल करने का अधिकार न दिया जाए. केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट से यह भी मांग की कि कोर्ट के साथ ही राज्य सरकार और जेल अधिकारी को भी डेथ वारंट जारी करने का अधिकार दिया जाए. फिलहाल सिर्फ मजिस्ट्रेट ही डेथ वारंट जारी कर सकते हैं.

केंद्र सरकार ने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट एक निश्चित मियाद तय कर दे. क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद दया याचिका लगाने के लिए सिर्फ सात दिन और दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी चढ़ाने के लिए भी सिर्फ सात दिन दिए जाएं. साथ ही इसको कोई अहमियत न दी जाए कि साथी दोषियों की कौन सी याचिका कहां, क्यों और कैसे लंबित है.

साभार- आज तक

Previous
Next

© 2012 Rajkaaj News, All Rights Reserved || Developed by Workholics Info Corp

Total Visiter:26564532

Todays Visiter:8261