Publish Date:17-Jun-2019 23:24:27
उत्तर प्रदेश में सौभाग्य योजना के जरिए गरीबों तक मुफ्त कनेक्शन की सुविधा तो पहुंचाई गई है लेकिन अब एक झटके वाली खबर भी है. यूपी पॉवर कॉरपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को वर्ष 2019-20 में बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव में बिजली के दामों में सर्वाधिक बढ़ोतरी का प्रावधान गरीबों के लिए किया गया है.
गरीबों (बीपीएल) के लिए 53 फीसदी तक बिजली के दामों में वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं घरेलू उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि 23 फीसदी प्रस्तावित है तो किसानों के लिए 25 फीसदी है. उधर पावर कॉरपोरेशन के इस प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने अनुचित बताया है. कॉरपोरेशन का आरोप है कि बिजली कंपनियां किसानों और गरीबों से राजस्व वसूलना चाहती हैं.
उपभोक्ता परिषद का विरोध
उपभोक्ता परिषद द्वारा यह मुद्दा उठाया गया कि प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा वर्तमान में जो राजस्व प्राप्त किया जा रहा है, वह 58403 करोड़ है. टैरिफ बढ़ोत्तरी के बाद जो राजस्व प्राप्त दिखाया जा रहा है, वह 65923 करोड़ है यानी टैरिफ हाइक से कुल 7520 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा. इसमें से केवल घरेलू विद्युत उपभोक्ता से अतिरिक्त राजस्व 4117 करोड़ व किसानों से अतिरिक्त राजस्व 787 करोड़ मांगा गया है यानि कि कुल बढ़ोत्तरी का केवल 61 प्रतिशत भार बिजली कम्पनियां घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों पर डाल रही हैं.
उपभोक्ता परिषद के प्रतिनिधियों की बैठक ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ भी होनी थी लेकिन यह मुलाकात संभव नहीं हो पाई है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह से मुलाकात कर पॉवर कॉरपोरेशन के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है. प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद ने लोकमहत्व जनहित प्रत्यावेदन भी दिया है.
साभार- न्यूज 18