17-Apr-2024

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राजनीतिक दलों को बताना होगा क्यों दिया दागी नेता को टिकट- सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्‍ली, राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता व्यक्त की है। अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें। इसमें उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक केस, ट्रायल और उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा। यानी राजनीतिक दलों को ये भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर फैसला सुनाया दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पॉलिटिकल पार्टी को कारण बताना होगा कि उसने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार क्यों बनाया, क्‍या उसको उस क्षेत्र में कोई ऐसा आदमी नहीं मिला जो साफ छवि का हो। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि ये कोई आधार नहीं हो सकता कि वह जीत सकता था, इसलिए उसे उम्‍मीदवार बनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले 4 चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्‍मीदवारों की संख्‍या लगातार बढ़ी है। कोर्ट ने अपने आदेश में सभी पार्टियों को आदेश दिया है कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्‍मीदवारों की जानकारी चुनाव आयोग को दे। इसी के साथ चुनाव आयोग भी कोर्ट में बार-बार यह कह रहा था कि उनके पास कोई अधिकार नहीं है, जिसमें अगर कोई राजनैतिक पार्टी नहीं मानती तो वह कोई कार्रवाई कर सके। इसपर कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि आपको कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है, अगर कोई पार्टी इस आदेश को नहीं मानती है तो आपका काम सिर्फ यह है कि आप सुप्रीम कोर्ट को बता दिजिए कि यह पार्टी इस आदेश को नहीं मानती है तो सुप्रीम कोर्ट उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगी। इससे यह साफ हो गया कि कोई पार्टी कोर्ट का आदेश नहीं मानेगी तो उस पार्टी का अध्‍यक्ष कोर्ट में जरूर खड़ा होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनैतिक पार्टियों को कहा है कि वह अपने सभी उम्मीदवारों का आपराधिक ब्यौरा वेबसाइट पर डालें। इस याचिका में चुनाव आयोग पर आरोप लगा था कि वह राजनीति में अपराधीकरण पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों को लागू कराने में असफल रहा है।

इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए...

1- नामांकन करते समय प्रत्येक उम्मीदवार उसके खिलाफ उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी बोल्ड अक्षर में देगा।

2- नॉमिनेशन के 48 घण्टे के भीतर पोलिटिकल पार्टी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर निम्नलिखित जानकारी देगा।

3- किसी राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाला कैंडिडेट अपनी पार्टी को उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देगा।

4- पोलिटिकल पार्टी को कारण बताना होगा कि उसने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार क्यों बनाया।

5- राजनीतिक पार्टी की जिम्मेदारी होगी कि वह प्रत्येक कैंडिडेट के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी पार्टी की वेबसाइट पर डाले।

6- चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट और राजनीतिक दलों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अखबार और न्यूज़ चैनल्स में अपने / अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी प्रकाशित कराएगा। सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश दिया था कि यह सूचना नामांकन होने के बाद कम से कम तीन बार प्रकाशित करायी जाएगी।

7- कोई पोलिटिकल पार्टी अगर नहीं मानती तो यह जानकारी EC सुप्रीम कोर्ट को बताएगा और पार्टी के खिलाफ अवमानना को कार्रवाई होगी।

8- अदालत के फैसले के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही घोषित किए गए उम्मीदवार की जानकारी को स्थानीय अखबारों में भी छपवानी होगी।

9- अगर किसी नेता या उम्मीदवार के खिलाफ कोई केस नहीं है और कोई भी FIR दर्ज नहीं है तो उसे भी इसकी जानकारी देनी होगी। अगर कोई भी नेता सोशल मीडिया, अखबार या वेबसाइट पर ये सभी जानकारियां नहीं देता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है और सुप्रीम कोर्ट को भी जानकारी दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने लगाई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 25 सितंबर 2018 को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि नामांकन करते समय प्रत्येक उम्मीदवार उसके खिलाफ उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी बोल्ड अक्षर में देगा। इसके साथ ही किसी राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाला कैंडिडेट अपनी पार्टी को उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देगा। याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू कराए जाने की मांग की है।

कपिल सिब्बल ने बताया, सही फैसला

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने इस फैसले को सही बताया है। उन्होंने कहा, जनता को पता होना चाहिए कि वे जिसे वोट देने जा रहे हैं वो दागी है या साफसुथरी छवि वाला है।


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