24-Apr-2024

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राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल से देश एवं प्रदेश के बैंकों में काम-काज पूर्णतः ठप्प

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भोपाल में हड़ताली बैंक कर्मियों ने शानदार इंक्लाबी रैली निकालकर प्रभावी सभा की

यूनाईटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स, जिसमें नौ बैंक कर्मचारी-अधिकारी संगठन- आॅल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन (।प्ठम्।), आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स कन्फेडरेशन (।प्ठव्ब्), नैशनल कन्फेडरेशन आॅफ बैंक एम्प्लाईज (छब्ठम्), आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन (।प्ठव्।), बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन आॅफ इंडिया (ठम्थ्प्), इंडियन नैशनल बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन (प्छठम्थ्), इंडियन नैशनल बैंक आॅफिसर्स काँग्रेस (प्छठव्ब्), नैशनल आॅर्गेनाईजेशन आॅफ बैंक वर्कर्स (छव्ठॅ) एवं नैशनल आॅर्गेनाईजेशन आॅफ बैंक आॅफिसर्स (छव्ठव्), शामिल है, जो देश के करीब शत-प्रतिशत बैंक कर्मियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, के आह्वान पर ”केन्द्र सरकार एवं बैंक प्रबन्धन के बैंकों के विलय के प्रयासों के विरोध में“ देशभर के 10 लाख बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी अपनी माँगों को लेकर आज दिनांक 26 दिसम्बर 2018 को हड़ताल पर रहे। हड़ताल के कारण समस्त सार्वजनिक पुराने निजी क्षेत्र एवं विदेशी क्षेत्र की बैंकों में काम-काज ठप्प रहा।
हड़ताली बैंक-कर्मी केन्द्र सरकार द्वारा बैंक आॅफ बड़ौदा, देना बैंक एवं विजया बैंक के विलय के प्रयासों का विरोध कर रहे हैं। इसके साथ-साथ उनकी माँग है कि कार्पोरेट ऋण चूककर्ताओं के विशाल खराब ऋणों की वसूली के लिए त्वरित कार्यवाही की जावे तथा इनकी वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाये जावें।

भोपाल एवं आस-पास के करीब 5000 हड़ताली बैंक-कर्मी आज प्रातः 10ः30 बजे ओरियेन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स रीजनल आफिस प्रेस काम्पलेक्स एम.पी. नगर, जोन-।, भोपाल के सामने इकट्ठे हुए। उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात एक विशाल रैली प्रारम्भ हुई। रैली में हजारों बैंक कर्मी हाथों में प्ले कार्डस, लाल रंग के झण्डे लिए हुए दो-दो की पंक्ति में जोशीले नारे लगाते हुए अनुशासित रूप से चल रहे थे। लाल झण्डों से रैली रंगीन नजर आ रही थी। रैली में युवा एवं सैकड़ों महिला बैंक कर्मियों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। आज बैंकों में लटके हुए ताले केन्द्र सरकार को चेतावनी दे रहे थे कि यदि उन्होंने हड़ताली बैंक कर्मियों की माँगों को गंभीरता से नहीं लिया तो आगामी दिनों में कई दिनों तक इसी तरह ताले लटके नजर आएंगे। रैली प्रेस काम्पलेक्स का चक्कर लगाते हुए वापिस ओरिएन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स के सामने आकर सभा में परिवर्तित हो गई। सभा को फोरम के पदाधिकारियों साथी वी.के. शर्मा, संजीव सबलोक, अरूण भगोलीवाल, मदन जैन, डी.के. पोद्दार, दीपक रत्न शर्मा, आशीष तिवारी, संजय कुदेशिया, संतोष जैन, वी.एस. नेगी, सुनील सिंह, नजीर कुरैशी, रजत मोहन वर्मा, एम.एस. जयशंकर, सुहास कुंडले आदि ने सम्बोधित किया।

वक्ताओं ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा बैंक आॅफ बड़ौदा, देना बैंक एवं विजया बैंक के विलय के प्रयासों का देशभर में विरोध हो रहा है, क्योंकि ये विलय जन एवं श्रम विरोधी है। आज देश के लाखों गाॅंव ऐसे हैं, जहाॅं बैंकों की एक भी शाखा नहीं है तथा करोड़ों लोगों का किसी भी बैंक में खाता नहीं है। वर्तमान में बैंकों के विलय नहीं बल्कि विस्तार की आवश्यकता है। विलय के पश्चात निश्चित रूप से बैंकों की शाखा नहीं होगी। अतः वर्तमान में जो बैंकिंग सुविधा लोगों को उन शाखाओं के माध्यम से मिल रही है, उससे उन्हें वंचित होना पड़ेगा। बैंकिंग सभी को सुलभ रूप से उपलब्ध बनाने के लिए शाखा विस्तार की आवश्यकता है, जबकि विलय और शाखा विस्तार एक-दूसरे के विपरीत है। शाखा बन्दी से स्टाफ भी अतिरिक्त (सरप्लस) हो जायेगा। इसे एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में स्थानांतरित किया जायेगा। इस कारण वे व्ही.आर.एस. लेने के लिए मजबूर होंगे। यह बैंक कर्मियों की सेवा सुरक्षा को प्रभावित करेगा। अतः सीधा-सीधा ये रोजगार एवं नौकरियों पर हमला है। बैंकिंग विस्तार के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अधिक रोजगार होंगे, लेकिन बैंकिंग के विलय से भविष्य में रोजगार समाप्त हो जोयंगे। भारत में हमें हमारे युवा लोगों के लिए और अधिक नौकरी की आवश्यकता है, विलय रोजगारी विरोधी है। सरकार द्वारा राष्ट्र का ध्यान खराब ऋणों से हटाने के लिए विलय का मुद्दा लाया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि बैंकों के विलय की अपेक्षा सरकार को कारपोरेट ऋण चूककर्ताओं के विशाल खराब ऋणों की वसूली के लिए त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए।

उन्होंने केन्द्र सरकार से माँग है कि बैंकों के विलय के प्रस्ताव को वापिस लिया जावे तथा खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाये जायें।
हड़ताल, प्रदर्शन एवं सभा में विभिन्न बैंक-वाईज संगठनों के पदाधिकारीगण साथी संजीव सबलोक, वी.के. शर्मा, अरूण भगोलीवाल, मदन जैन, आशीष तिवारी, डी.के. पोद्दार, नजीर कुरैशी, गुणशेखरन, संजय कुदेशिया, संतोष जैन, वी.एस. नेगी, सुनील सिंह, राकेश जैन, एम.जी. शिन्दे, ओ.पी. टहलयानी, रजत मोहन वर्मा, जे.पी. दुबे, हेमन्त मुक्तिबोध, एम.एस. जयशंकर, आर.के. हीरा, राकेश भारद्वाज, के.के. त्रिपाठी, गुणशेखरन, पंकज सक्सेना, बसंत जोशी, शोभित वाडेल, राजेश लाला, संजय नागचंडी, सितांशु शेखर, दीपक शुक्ला, प्रभात खरे, अशोक पंचोली, जी.डी. पाराशर, अरविन्द मिश्रा, बाबूलाल राठौर, सत्येन्द्र चैरसिया, वी.एस. रावत, बी.सी. पौणीकर, सी.एस. शर्मा, जी.बी. अणेकर, किशन खैराजानी, जे.डी. मलिक, प्रभात सक्सेना, देवेन्द्र खरे, मिलिन्द डेकाटे, वीरेन्द्र भारद्वाज, श्याम रैनवाल, अमिताभ चटर्जी, संदीप चैबे, दर्शन भाई, प्रभात भटनागर, एस. माधवन, एन.जे.एस. तलवार, यागेश मनूजा, जी.पी. चांदवानी, तपन व्यास, गोवर्धन मिश्रा, अभय कुमार शर्मा, अवधेश पाण्डे, रंजीत कुमार, पी.के. ठक्कर, विश्वजीत मिश्रा, मंगेश दवांदे, विजय पाल, विश्वामित्र दुबे, संजय वर्मा, असीम झवर, रितेश शर्मा, ए.एस. तोमर, राजू जोधानी, श्रीकांत परांजपे, विजय बोरगवे, विशाल धमेजा, वैभव गुप्ता, सनी श्रीवास्तव, लखन तिलवानी, अविनाश धमेजा, नरेश सधानी, महेश जिज्ञासी, मयंक गुप्ता, संजय धान, सुदेश कल्याणे, मोहन कल्याणे, भुजन भाई, शैलेन्द्र नरवरे, इमरत मुन्ना भाई, राजेन्द्र भाई, सतीश चैबे, रोहित भाई, गौरव दुबे, अनिल मरोती, सौरभ पाराशर, बारेलाल यादव, नारायण पंवार, सुनील देसाई, गिरीश जग्गी, विजय जगन, पुरूषोत्तम नाथानी, महेन्द्र गुप्ता, कैलाश पतकी, आनन्द अग्रवाल, मनीष वोरा, मनीष भाई, अवध वर्मा, प्रदीप कटारिया, कैलाश माखीजानी, अनुपम त्रिवेदी, इकबाल बहादुर, के. वासुदेव सिंह, एस.पी. मालवी, करीम खान, मैडम आर. जोशी, श्रीमती सुषमा सूरी, श्रीमती सुहास कुंडले, मीनाक्षी बक्शी, बीना सुरेश, प्रियंका गड़वाल, मनोज कौशल, मनोज श्रोती, मोहित श्रीवास्तव, विनय सक्सेना, वी.के. कोठारी, गोपाल राठौर, देवेन्द्र मीना, राहुल मालवीय, मुकेश प्रजापति, मदनलाल विश्वकर्मा, अविनाश चिंचैरे, के साथ हजारों बैंक कर्मचारी-अधिकारी प्रदर्शन एवं सभा में उपस्थित थे।
       

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