02-May-2024

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नारायण त्रिपाठी ने फिर पाला बदला, बीजेपी कार्यालय पहुंचे

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भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में दलबदलू नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपना पाला फिर से बदल दिया है। मंगलवार को वो पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पहुंचे और ऐलान किया कि वो कभी कांग्रेस में गए ही नहीं थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बागी विधायक नारायण त्रिपाठी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस पूरे मामले पर सफाई दी।

इस मौके पर बागी विधायक नारायण त्रिपाठी के सुर भी बदले-बदले नजर आए। यहां उन्होंने कांग्रेस को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस दिशाहीन पार्टी है। यहां कोई नेतृत्व नहीं है, कोई सोच नहीं है। मैं भाजपा से अलग नहीं हुआ था। मैं मैहर को जिला बनाने के लिए सीएम कमलनाथ से संपर्क में था। सरकार किसी की रहे, क्षेत्र विकास के लिए हर नेता को मुख्यमंत्री से मिलना होता है। इसी संबंध में मैं सीएम कमलनाथ के संपर्क में था।"

वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी साफ कर दिया कि, नारायण त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी में ही हैं। भाजपा के सभी विधायक एक हैं। सबके सामने विधायक नारायण त्रिपाठी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस दिशाहीन है। इसका कोई भविष्य नहीं है। कांग्रेस प्रलोभन की राजनीति नहीं कर पाएगी। सीएम से मिलने का मतलब ये नहीं होता है कि वो उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। वहीं सरकार गिराने से जुड़े सवाल पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने फिर से दोहराया कि कमलनाथ सरकार अपने अंतर्कलह से गिरेगी। वहीं उन्होंने साफ कर दिया कि नारायण त्रिपाठी झाबुआ उपचुनाव में पार्टी के लिए भी काम करेंगे।

बता दें कि पिछले दिनों विधानसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक पर वोटिंग के दौरान बीजेपी के दो विधायक पार्टी लाइन से हटकर कमलनाथ सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी। इनमें से एक मैहर के नारायण त्रिपाठी तो दूसरे शहडोल के ब्योहारी से शरद कोल थे। इसके बाद खुद कमलनाथ ने इन दोनों विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का दावा किया था। लेकिन आज बदले हुए घटनाक्रम में भाजपा अपने बागी विधायक की घर वापसी कराने में कामयाब हो गई।

वोटिंग के दौरान हुई फजीहत को लेकर भाजपा आलाकमान भी स्थानीय नेतृत्व से नाराज था। उसी वक्त से पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी थी। यही वजह थी कि कांग्रेस सरकार के पक्ष में वोटिंग करने के बाद भी पार्टी ने इन दोनों विधायकों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करते हुए इनके लिए दरवाजे खुले रखे थे। अब जबकि झाबुआ में विधानसभा का उपचुनाव है और विधानसभा में संख्याबल के मामले में कांग्रेस थोड़ी कमजोर दिख रही है। ऐसे वक्त में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी का दोबारा भाजपा में जाना कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकता है।

साभार- नईदुनिया

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