Publish Date:17-Mar-2019 00:00:21
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए चुनाव घोषणापत्र जारी करने की समयसीमा निर्धारित करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि मतदान से 48 घंटे पूर्व प्रचार थमने के बाद चुनाव घोषणा पत्र जारी नहीं किए जा सकेंगे. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए घोषणापत्र जारी करने की समयसीमा घोषित कर दी है. लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 के मुताबिक, एक या एक से ज्यादा चरणों में होने वाले चुनाव के लिए प्रतिबंधित समय में घोषणापत्र जारी नहीं किए जा सकेंगे.
धारा 126 के मुताबिक, मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर प्रतिबंध लग जाता है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए यह बड़ा फैसला लिया है. एकल और बहु दोनों चरणों के चुनावों के लिए घोषणापत्र निषेधात्मक अवधि के दौरान जारी नहीं किया जाएगा, जैसा कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत निर्धारित है.
आयोग के जरिए शनिवार को चुनाव आचार संहिता के नियमों में घोषणापत्र से संबंधित प्रावधानों को जोड़ते हुए कहा गया है कि मतदान से दो दिन पहले तक ही राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र जारी कर सकेंगे. प्रचार अभियान थमने के बाद मतदान से 48 घंटे पहले की अवधि में घोषणा पत्र जारी नहीं किया जा सकेगा. आयोग के प्रमुख सचिव नरेन्द्र एन बुतोलिया के जरिए सभी राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को जारी दिशानिर्देश में निर्धारित की गई यह समयसीमा एक या एक से अधिक चरण वाले चुनाव में समान रूप से लागू होगी.
इसमें चुनाव आचार संहिता के खंड आठ में घोषणापत्र जारी करने की प्रतिबंधित समयसीमा के प्रावधान शामिल करते हुए साफ किया गया है कि एक चरण वाले चुनाव में मतदान से पूर्व प्रचार थमने के बाद की अवधि में कोई घोषणापत्र जारी नहीं होगा. वहीं एक से अधिक चरण वाले चुनाव में भी प्रत्येक चरण के मतदान से पहले 48 घंटे की अवधि में घोषणापत्र जारी नहीं किए जा सकेंगे.
पिछले वर्ष आयोग की एक कमेटी ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की कोशिशों के तहत पार्टियों को पहले चरण के मतदान समाप्ति के 72 घंटे पहले अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने के नियम बनाने की सिफारिश चुनाव आयोग से की थी. बता दें कि पुराने नियमों में घोषणापत्र जारी करने को लेकर कोई बंदीश नहीं थी.
2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपना घोषणापत्र 7 अप्रैल यानी पहले चरण के मतदान वाले दिन जारी किया था. उस वक्त इस घटना को कांग्रेस ने मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास बताकर आयोग से शिकायत भी की थी, मगर घोषणापत्र को लेकर कोई कानून नहीं होने के कारण आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सका था.
ऐसी परिस्थिति में इस रिपोर्ट में नेताओं को इंटरव्यू और प्रेसवार्ता से बचने की हिदायत दी गई है. चुनाव आयोग ने 14 सदस्यों वाली इस कमेटी का गठन पिछले साल मीडिया के प्रसार को देखते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 की समीक्षा के लिए किया था.