Publish Date:07-Sep-2019 15:03:22
आज जिस तरह का हाल भारत के मून मिशन चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का हुआ, अप्रैल में तकरीबन यही हाल इजरायल (Israel) के मून मिशन (Moon Mission) का हुआ था. जिस तरह भारत के चंद्रयान 2 की लैंडिंग के आखिरी वक्त में गड़बड़ी आई, ठीक इसी तरह से इजरायल के मून मिशन में लैंडिंग के आखिरी पलों में दिक्कत आई थी. आज जिस तरह इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत 100 फीसदी सफल नहीं हो पाई, उसी तरह अप्रैल में इजरायल के वैज्ञानिकों को अपने मून मिशन के आखिरी वक्त में नाकामी मिली थी. इजरायल का स्पेसक्रॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी हिस्से में जाकर चंद्रमा की सतह पर क्रैश कर गया था.
क्या हुआ था इजरायल के मून मिशन में ?
इजरायल के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से अपने मून मिशन की शुरुआत की थी. एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन SpacelL ने इजरायल के मून मिशन वाले स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया था. स्पेसक्रॉफ्ट को 11 अप्रैल को चंद्रमा की सतह छूना था. लेकिन लैंडिंग के आखिरी पलों में स्पेसक्रॉफ्ट के इंजन ने काम करना बंद कर दिया. धरती से मिशन को कंट्रोल करने वाली टीम ने इंजन को दोबारा चालू करने की कोशिश की. लेकिन उसके बाद लैंडर से संपर्क टूट गया.
इजरायल के स्पेसक्रॉफ्ट बेयरशीट के मेन इंजन ने काम करना बंद कर दिया था. जिसकी वजह से इजरायल का मून मिशन फेल रहा. इजरायल स्पेस एजेंसी ने बाद में ट्वीट करके जानकारी दी कि उनके मून मिशन का लैंडर कंट्रोल खोकर चंद्रमा की सतह पर क्रैश कर गया है.
इजरायल के मून मिशन के चीफ मॉरिस कन ने कहा कि 'हम कामयाब नहीं हो पाए लेकिन हमने कोशिश जरूर की. हमें इस बात का गर्व है.'
इजरायल के मून मिशन से इसरो के वैज्ञानिकों ने सबक हासिल की थी
इजरायल के मून मिशन की हालत देखकर भारत में इसरो के वैज्ञानिकों ने भी सबक ली थी. भारत का मून मिशन इसी साल अप्रैल में शुरू होना था. लॉन्च की तारीख अप्रैल में ही रखी गई थी. लेकिन अप्रैल में ही इजरायल के मून मिशन का हश्र देखकर इसरो के वैज्ञानिकों ने लॉन्च की तारीख टाल दी. इसरो के वैज्ञानिकों ने उस वक्त कहा था कि 'हमने इजरायल का उदाहरण देख लिया है. अब हम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.'
इसके बाद चंद्रयान 2 ने 22 जुलाई को उड़ान भरी थी. भारी भरमक रॉकेट GSLV मार्क 3 ने चंद्रयान 2 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया.
इसरो के वैज्ञानिकों ने भारत के मून मिशन में बहुत कड़ी मेहनत की थी. सबसे पहले पिछले साल अप्रैल में लॉन्च की तारीख रखी गई. लेकिन उसे बाद में अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया. इसरो चीफ ने अक्टूबर नवंबर के लॉन्च को भी आगे बढ़ा दिया. राष्ट्रीय स्तर पर बनी एक कमिटी ने चंद्रयान 2 के मिशन को रिव्यू किया. इसके बाद मिशन को अप्रैल 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया. अप्रैल के बाद आखिर में 22 जुलाई को मून मिशन का कामयाब लॉन्च हुआ.
इजरायल के मून मिशन में आखिरी वक्त क्या हुआ था?
इजरायल के साथ भी करीब-करीब वही हालात थे, जैसे आज भारत के साथ हैं. अगर इजरायल का लैंडर चंद्रमा की सतह को छू लेता तो वो ऐसा करने वाल दुनिया का चौथा देश बन जाता है. अब तक कामयाबी से चंद्रमा की सतह पर अपना स्पेसक्रॉफ्ट उतारने में अमेरिका, रुस और चीन ही कामयाब हुए हैं.
इजरायल भी भारत की तरह अपने स्पेसक्रॉफ्ट को चंद्रमा की ऑर्बिट में प्रवेश कराने में सफल रहा था. इजरायल ने दावा किया था कि वो ऐसा करना वाला सातवां देश बन गया है.
इजरायल ने इस साल फरवरी में अपने मून मिशन की शुरुआत की थी. फरवरी में केप कैनवेरल से स्पेस एक्स रॉकेट स्पेसक्रॉफ्ट को लेकर उड़ा था. बेयरशीट स्पेसक्रॉफ्ट धरती का चक्कर काटने के बाद अप्रैल में चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश पाने में सफल रहा. चंद्रमा की कक्षा के कई चक्कर काटने के बाद इजरायल के वैज्ञानिकों ने उसके चंद्रमा की सतह पर उतारने की तैयारी शुरू की.
इजरायल के वैज्ञानिकों ने अपने स्पेसक्रॉफ्ट को उतारने के लिए चांद के उसी जगह को चुना था, जिस जगह को अमेरिका ने 1972 में चुना था. अमेरिका के अपोलो 17 मिशन में अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सफलता से चांद की सतह पर उतरे थे. चांद पर वो ठंडी पड़ी ज्वालामुखी वाली जगह थी.
इजरायल के वैज्ञानिकों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. इजरायल के स्पेसक्रॉफ्ट में कैमरा और कुछ ऐसे यंत्र लगे थे, जो चंद्रमा की सतह की फोटो धरती पर भेजते. दूसरे यंत्र वहां के मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी देते. लेकिन लैंडिंग के आखिरी चरण में ये मिशन फेल कर गया.
उस वक्त इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू ने कहा था कि 'अगर आप पहली बार में सफल नहीं होते हो तो आपको दोबारा कोशिश करनी चाहिए.' माना जा रहा है कि इजरायल अभी भी अपने मून मिशन में लगा है.
साभार- न्यूज 18