25-Apr-2024

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जस्टिस सीकरी की नियुक्ति को राहुल ने राफेल से जोड़ा, विवाद के बाद SC जज ने ठुकराया सरकार का ऑफर

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नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज को रिटायरमेंट के बाद कॉमनवेल्थ ट्राइब्यूनल भेजे जाने के प्रस्ताव पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए राफेल डील से जोड़ा है। उन्होंने सीधे पीएम मोदी पर अटैक करते हुए कहा कि वह राफेल घोटाले को कवरअप करने का प्रयास कर रहे हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री डर के चलते भ्रष्ट हो गए हैं और संस्थाओं को बर्बाद कर रहे हैं। राहुल से पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर अहमद पटेल ने भी इस मसले पर सरकार पर वार किया था। उन्होंने इस नियुक्ति पर कहा था कि सरकार को कई सवालों के जवाब देने की जरूरत है।

सीकरी के मनोनयन पर यह विवाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के तीन दिन बाद रविवार को शुरू हुआ। तीन सदस्यीय पैनल ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को 2-1 से हटाने का फैसला लिया था। खड़गे इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन जस्टिस सीकरी और पीएम मोदी के वोट के चलते वर्मा को बहुमत से हटाने का फैसला हुआ।

इस बीच विवाद बढ़ता देख जस्टिस सीकरी ने केंद्र सरकार की ओर से कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल में भेजे जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने पिछले महीने उन्हें ट्राइब्यूनल के लिए मनोनीत करने का फैसला लिया था। उस दौरान जस्टिस सीकरी ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी, लेकिन रविवार शाम को उन्होंने ऑफर को ठुकरा दिया।

जस्टिस सीकरी ने ठुकराया सरकार का यह ऑफर

इससे पहले रविवार को राहुल गांधी ने सीकरी के मनोनयन की एक मीडिया रिपोर्ट के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, 'न्याय के पैमाने से जब छेड़छाड़ की जाती है तो फिर अराजकता का राज आता है।' राहुल ने इस मसले पर सीधे पीएम मोदी पर अटैक करते हुए कहा था कि वह राफेल घोटाले को कवरअप करने में जुटे हैं। वह डर के साये में हैं और इसी के चलते भ्रष्टाचार कर रहे हैं और संस्थाओं को बर्बाद करने में जुटे हैं।

जस्टिस सीकरी से ली गई थी मौखिक मंजूरी
इस बीच सरकारी सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने सीकरी से कॉमनवेल्थ ट्राइब्यूनल में नियुक्ति को लेकर मौखिक मंजूरी ली गई थी और उसका सीबीआई विवाद से कोई लेनादेना नहीं है। बता दें कि हाल ही में पीएम मोदी, जस्टिस सीकरी और कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाले तीन सदस्यीय पैनल ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को 2-1 से हटाने का फैसला लिया था। खड़गे इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन जस्टिस सीकरी और पीएम मोदी के वोट के चलते वर्मा को बहुमत से हटाने का फैसला हुआ।

कानून मंत्रालय को पत्र लिख वापस ली सहमति
सूत्रों ने बताया कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज ने रविवार को कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी सहमति वापस लेने की बात कही। हालांकि सूत्रों ने कहा कि जस्टिस सीकरी की नियुक्ति को आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के पैनल के फैसले से नहीं जोड़ा जा सकता। सीकरी को मनोनीत करने का फैसला दिसबंर के पहले सप्ताह में लिया गया था, जबकि चीफ जस्टिस ने सीबीआई चीफ की नियुक्ति वाले पैनल में उन्हें जनवरी में नामित किया था।

इस ट्राइब्यूनल के लिए किए गए थे मनोनीत
कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल का गठन कॉमनवेल्थ देशों के मेमोरैंडम का पालन सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। इस मेमोरैंडम को 2005 में नए सिरे से तैयार किया गया था। इस ट्राइब्यूनल में सदस्यों का मनोनयन 5 साल के लिए किया जाता है और उनकी सदस्यता को एक बार ही रीन्यू किया जा सकता है। अध्यक्ष समेत ट्राइब्यूनल में 8 सदस्य होते हैं। 7 मार्च, 1954 को जन्मे एके सीकरी 12 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इससे पहले वह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं।

साभार- नवभारत टाइम्‍स

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