24-Apr-2024

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नौसेना के लिए हेलिकॉप्टर बनाएंगी भारतीय कंपनियां, हो रही है 25000 करोड़ की डील

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नई दिल्ली. चार भारतीय कंपनियां (Indian Firms) जिसमें टाटा (Tata), अडानी (Adani), महिंद्रा डिफेंस सिस्टम (Mahindra Defence System) और भारत फोर्ज (Bharat Forge) शामिल हैं, उन्हें भारतीय नौसेना ने अपने रणनीतिक पार्टनर के तौर पर शॉर्टलिस्ट किया है. यह नौसेना (Indian Navy) के लिए 111 हेलिकॉप्टरों के स्वदेशी निर्माण (Indigenous Manufacturing) की 25,000 करोड़ रुपये की डील के प्रोजेक्ट के लिए किया गया है.

स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन की क्षमता विकसित करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की रणनीतिक पार्टनरशिप पॉलिसी (Strategic Partnership Policy) की शुरुआत की गई है. इसके पहले प्रोजेक्ट के तहत 111 छोटे हेलिकॉप्टर्स (Light Helicopters) का स्वदेशी ढंग से निर्माण किया जाना है. यह काम भारतीय और विदेशी कंपनियों के संयुक्त उद्यम के जरिए किया जाएगा.
अमेरिकी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करेंगी शॉर्टलिस्ट हुई भारतीय कंपनियां
भारतीय नौसेना के सूत्रों ने बताया, "ये चार भारतीय कंपनियों को अब दुनिया की असली रक्षा उत्पाद निर्माण कंपनियों, जिसमें यूरोप की दो हेलिकॉप्टरों की पेशकश करने वाली एयरबस हेलिकॉप्टर्स (Airbus Helicopters) भी शामिल है के साथ पार्टनर बनना पड़ेगा. अमेरिका की सिकोरस्की-लॉकहीड मार्टिन (Sikorsky Lockheed-Martin) और रशियन रोसोबोरोनेक्सपोर्ट कंपनियां भी ऐसी पार्टनर कंपनियों में शामिल होंगीं."
भारतीय नौसेना अब शॉर्टलिस्ट हुई कंपनियों और विदेशी कंपनियों के नाम के साथ रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) में यह मामला लेकर जाएगी. ताकि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए शॉर्टलिस्ट की गई कंपनियों को सरकार की अनुमति मिल सके और प्रोजेक्ट का काम आगे बढ़ाया जा सके.
चीता/चेतक हेलिकॉप्टर बेड़े को रिप्लेस करने के लिए हो रहा 111 स्वदेशी हेलिकॉप्टरों का निर्माण
सूत्रों ने यह भी बताया है कि कुल आठ भारतीय कंपनियों ने भारत का रणनीतिक पार्टनर बनने के मामले में दिलचस्पी दिखाई थी. इन कंपनियों में सरकारी क्षेत्र की कंपनी भी शामिल थी. लेकिन इन कंपनियों में से केवल चार को ही नौसेना ने शॉर्टलिस्ट किया है. इसके जरिए नौसेना का अपने चीता/चेतक हेलिकॉप्टर (Cheetah/Chetak Helicopters) के बेड़े को रिप्लेस करने की योजना है.
इस तरह की रणनीतिक पार्टनरशिप की शुरुआत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के कार्यकाल में की गई थी, जो बाद में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) के कार्यकाल में आकार ले सकी. इसके जरिए विदेशी कंपनियों से समझौते के जरिए आधुनिक रक्षा उपकरणों का उत्पादन किया जाना है.
साभार- न्‍यूज 18

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