Publish Date:13-Feb-2020 19:47:48
नई दिल्ली. सरकारी अधिकारियों को अब सांसदों (MPs) और विधायकों (MLAs) के साथ संवाद में बहुत एहतियात बरतनी होगी. एक सरकारी आदेश के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के सभी अधिकारियों को सांसदों व विधायकों के साथ संवाद के मामले में नियमों का पालन करने को कहा गया है. संवाद (Communication) में नियमों की अनदेखी होने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. आदेश में सभी राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों (Chief Secretaries) से कहा गया है कि सामान्य तौर पर सांसदों की आवाजाही के दौरान अधिकारियों से जिम्मेदारियां निभाते समय संवेदनशीलता बरतने को कहा जाए.
प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले सामने आने के बाद दिया आदेश
सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी विशेष रूप से संसद सत्र (Parliament Session) के दौरान अपनी जिम्मेदारियां निभाते समय सावधानी बरतें. सरकार ने मौजूदा दिशानिर्देशों में तय प्रोटोकॉल के उल्लंघन के कुछ मामले सामने आने के बाद यह आदेश जारी किया है. कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) ने आदेश में कहा है कि जनता के मान्यताप्राप्त प्रतिनिधि के नाते हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic System) में संसद सदस्यों और विधायकों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है.
कार्मिक मंत्रालय समय-समय पर दोहराता है दिशानिर्देश
कार्मिक मंत्रालय ने कहा है कि अपने कर्तव्यों के सिलसिले में सांसदों-विधायकों को अकसर भारत सरकार (Government of India) या राज्य सरकारों (State Governments) के मंत्रालयों अथवा विभागों से जानकारी लेना या सुझाव देना अथवा अधिकारियों के साथ इंटरव्यू के लिए कहना जरूरी लगता है. कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने प्रशासन और संसद सदस्यों तथा विधायिका सदस्यों के बीच आधिकारिक कामकाज से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए हैं. इन्हें समय-समय पर दोहराया जाता है. मौजूदा गाइडलाइंस के अनुसार, सांसदों के साथ बातचीत पर तुरंत प्रतिक्रिया होनी चाहिए.
साभार- न्यूज 18