20-Apr-2024

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2021 से देशभर में स्कूल की परीक्षाएं खत्म करेगी सरकार

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) समिति के मसौदे की सिफारिशों के अनुसार, मानव संसाधन विकास (एमएचआरडी) मंत्रालय ने 2021 से स्कूली परीक्षाओं को हटाकर मूल्यांकन प्रक्रिया को आधुनिक बनाने का फैसला किया है। एमएचआरडी के अधिकारियों ने बताया कि नया मूल्यांकन मॉड्यूल में कक्षा-आधारित मूल्यांकन पर जोर दिया जाएगा और '5-3-3-4' संरचना का पालन होगा।
सरकार अक्टूबर 2020 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने के लिए सभी संभावनाओं देख रही है, जिसके बाद इन नीतियों को 2021 में लागू कर दिया जाएगा। एमएचआरडी के अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि हम जल्द ही समिति द्वारा अनुशंसित नए परीक्षा पैटर्न पर सिफारिशों के लिए अन्य बोर्डों को सूचित करेंगे। बोर्ड और शिक्षा विशेषज्ञों से सुझाव मिलने के बाद मंत्रालय 10 + 2 फॉर्मेट को रद्द करने और 2021 से प्रस्तावित मूल्यांकन प्रक्रिया पर आगे बढ़ने पर विचार करेंगे।

जून में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) समिति के मसौदे में '5-3-3-4' डिजाइन की सिफारिश की गई थी। इसमें जिसमें पांच साल फाउंडेशन स्टेज, (तीन साल, प्री-प्राइमरी स्कूल के साथ पहली और दूसरी कक्षा), तीन साल के लिए प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा तीन से पांच), तीन साल के लिए मिडिल स्टेज (कक्षा छह से आठ) और चास साल सेकेंडरी स्टेज (कक्षा नौ से 12) शामिल है।

31 मई को डॉ. कस्तूरीरंगन समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दिया था। इसके बाद इस नीति में दो भाषाओं और तीन भाषाओं के फॉर्मुले को लेकर कुछ विवाद भी हुआ। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि यह सरकार द्वारा घोषित नीति नहीं है। आम जनता की राय मिलने और राज्य सरकारों से सलाह-मश्वरा करने के बाद सरकार इसे अंतिम रूप देगी। सरकार सभी भारतीय भाषाओं के समान विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। शिक्षा संस्थानों में किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा और न ही किसी भाषा के साथ भेदभाव किया जाएगा।

क्योंकि इससे पहले शिक्षा नीति तीन दशक पहले आई थी, इसलिए वर्ष 2014 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए वर्ष 2015 में पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया। उसने नई शिक्षा नीति का मसौदा पेश किया, लेकिन किसी कारण उसे अनुकूल नहीं पाया और वर्ष 2016 में अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक नई समिति गठित की गई। नई सरकार बनते ही समिति की ओर से तैयार नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार को सौंप दिया गया था।

साभार- अमर उजाला

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