Publish Date:25-Jan-2020 18:09:12
नई दिल्ली. पिछले साल सितंबर माह में कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax) में कटौती होने के बाद अब 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) से उम्मीद की जा रही है कि उन्हें इनकम टैक्स (Income Tax) के मोर्चे पर राहत मिले. इनकम टैक्स के मोर्चे पर आम लोगों को राहत देने का मतलब ये भी है कि इससे सरकार के राजस्व पर असर पड़ेगा. इनकम टैक्स के अलावा कुछ जानकार इस बात की भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस बार बजट में डिविडेंड डिस्ट्रीब्युशन टैक्स (DDT) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) में भी राहत दे सकती है.
1. मौजूदा टैक्स स्लैब के मुताबिक, 5 लाख सालाना की कमाई पर 5 फीसदी टैक्स देना होता है. 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स दर 20 फीसदी है. इस मोर्चे पर विशेषज्ञों का मानना है सरकार को इस बार बजट में लोगों को राहत देनी चाहिए.
2. इनकम टैक्स के अलावा डिविडेंड डिस्ट्रीब्युशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) में राहत की उम्मीद की जा रही है. लाइवमिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में NA शाह सिक्योरिटीज LLP के अशोक शाह के हवाले से लिखा है कि कोई भी कंपनी अपने मुनाफे के आधार पर इनकम टैक्स जमा करती है. इसके बाद अगर वो कंपनी अपने सरप्लस मुनाफे को शेयरहोल्डर्स (Shareholders) के बीच बांटने का फैसला लेती है तो उसके डिविडेंट डिस्ट्रीब्युशन के तौर पर 20.56 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. इसके अलावा नॉन-कॉरपोरेट टैक्सपेयर्स को 10 लाख रुपये से अधिक के डिविडेंट पर 10 फीसदी का टैक्स देना पड़ता है. वहीं, सरचार्ज और सेस भी देना होता है. ऐसे में डिविडेंड डिस्ट्रीब्युशन हटाने से टैक्स पर टैक्स देने का बोझ पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. शाह का कहना है कि सरकार शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाना चाहिए.
3. लिस्टेड सिक्योरिटीज पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की दोहरी मार पड़ती है. सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को सरकार ने साल 2004 में शुरू किया था. 2018 के यूनियन बजट में, LTCG को एक बार फिर लाया गया. इस प्रकार दोहरे टैक्स की मार से निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर पड रहा है. ऐसे में अब सरकार के पास निवेशकों को राहत देने का दो ही रास्ता है. पहला तो यह कि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए. वहीं, दूसरा विकल्प ये है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में राहत दी जाए.
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4. अब उम्मीद की जा रही है कि रियल एस्टेट सेक्टर को सपोर्ट करने के लिए केंद्र सरकार होम लोन में कुछ राहत दे सकती है. पिछले साल जुलाई में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा किया था कि 31 मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट दी जाएगी. होम लोन के ब्याज पर यह छूट 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने पर ही मिलेगा.
अब उम्मीद की जा रही है कि यह टैक्स छूट पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को भी दिया जा सकता है, भले ही वो कितनी भी रकम का घर खरीदते हैं. अगर केंद्र सरकार ऐसा कदम उठाती है तो इससे बड़े तबके को राहत मिल सकती है.
5. पेंशन फंड रेग्युलेटर PFRDA ने NPS के तहत 1 लाख तक का इनकम टैक्स छूट की मांग की है. वर्तमान में एक वित्तीय वर्ष में 50 हजार रुपये तक पर ही है. अगर आपका नियोक्ता आपके NPA अकाउंट में योगदान करता है तो इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के तहत यह बेसिक सैलरी पर अतिरिक्त 10 फीसदी की छूट मिलती है. रेग्यूलेटर ने सरकार से यह भी मांग की है कि सभी कैटेगरी के सब्सक्राइबर्स के लिए उनके योगदान पर 14 फीसदी का टैक्स छूट दिया जाए. वर्तमान में यह केवल केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को ही मिलती है.
साभार- न्यूज 18