19-Apr-2024

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मध्‍यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल गौर का दु:खद निधन, अंतिम संस्‍कार सुभाष नगर विश्राम घाट पर होगा

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भोपालः भारतीय जनता पार्टी के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का लंबी बिमारी के बाद निधन हो गया है। पिछले 15 दिनों से वह अस्पताल में भर्ती थे जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 89 साल के थे। मजदूर से मुख्‍यमंत्री तक का सफर करने वाले बाबूलाल गौर का अंतिम सफर बी जे पी कार्यालय से लगभग ढाई बजे सुभाष नगर विश्राम घाट के लिए रवाना होगा, जहां उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। गौर के निधन पर मध्‍यप्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया हैं। शासकीय कार्यालयों में आधे दिन का अवकाश भी घोषित किया गया है। दोपहर साढ़े 12 बजे गौर के शासकीय निवास से उनकी पार्थिव देह बी जे पी कार्यालय के लिए रवाना हुई। यहां अंतिम दर्शन के बाद शवयात्रा सुभाष नगर विश्राम घाट की ओर रवाना होगी।

राजधानी के नर्मदा अस्पताल में भर्ती होने से पहले गौर का एंजियोप्लास्टी दिल्ली स्थित मेदांता हॉस्पिटल में करवाया गया था। गौर पिछले महीने की 27 तारीख को दिल्ली से भोपाल लौटे थे। कुछ दिनों बाद ही उन्‍हें फिर तबियत खराब होने पर नर्मदा अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। लगभग एक पखवाड़े से यहां भर्ती थे। हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया था कि गौर की किडनी ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया और उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट दिया जा रहा था।

बाबूलाल गौर अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहे। दो जून 1930 को जन्मे बाबूलाल गौर ने 10 बार विधानसभा पहुंचे। बढ़ती उम्र के कारण उन्होंने पिछले साल 2018 में राजनीति से सन्यास ले लिया था। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले थे गौर ने एक मजदूर से मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे। वह अपने गृह राज्य से आकर मध्य प्रदेश में बस गए और पार्टी के लिए काम करना शुरू किया था। संगठन के लिए काम करने के दौरान गौर एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए और राज्य के सीएम पद तक पहुंचे।

बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1929 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के नौगीर गांव में हुआ था। एक मजदूर नेता के तौर पर उन्होंने भोपाल में अपनी छवि बनाई और इसके बाद जनसंघ के सदस्य बनकर आगे बढ़े। अगस्त 2004 में उन्होंने उमा भारती के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला और 29 नवंबर 2005 को यह पद छोड़ा। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वे नगरीय निकाय मंत्री रहे। 1977 से 2013 तक वे भोपाल की गोविंदपुरा सीट से विधायक रहे। सबसे पहले वे 1974 में भोपाल की गोविंदपुरा सीट से उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े हुए और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने इस सीट से लगातार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया।

गौर मार्च 1990 से दिसंबर 1992 तक मध्यप्रदेश में भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री, स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य और संसदीय कार्यमंत्री रहे। अगस्त 2004 में उन्होंने उमा भारती के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला और 29 नवंबर 2005 को यह पद छोड़ा।

बाबूलाल गौर ऐसे बने थे एमपी के सीएम
बाबूलाल गौर 23 अगस्त, 2004 से 29 नवंबर, 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. बाबूलाल के मुख्यमंत्री बनने के पीछे भी एक कहानी है। 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती की अगुआई में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई। जिसके बाद उमा भारती एमपी की मुख्यमंत्री बनीं। उमा भारती के सीएम पद संभालने के एक साल तक सब सही चल रहा था लेकिन फिर एक दिन 10 साल पुराने एक मामले में उमा भारती के खिलाफ 2004 में अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ। जिसके बाद भारती को कुर्सी छोड़नी पड़ी और बाबूलाल गौर को एमपी का मुख्यमंत्री बनाया गया। बता दें कि उमा भारती के खिलाफ 1994 में कर्नाटक के हुबली शहर में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ था। 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में वाणिज्य, उद्योग, वाणिज्यिक कर रोज़गार, सार्वजनिक उपक्रम तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। वहीं, 20 दिसंबर, 2008 को उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से सम्मिलित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की है। बाबूलाल गौर जी का लंबा राजनीतिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित था। जनसंघ के समय से ही उन्होंने पार्टी को मज़बूत और लोकप्रिय बनाने के लिए मेहनत की। मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे। बाबूलाल गौर जी के निधन से गहरा दुःख हुआ। ईश्वर शोक संतप्त परिवार को दुःख की इस घड़ी में धैर्य और संबल प्रदान करे। ओम शान्ति!

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के निधन से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है। सरकार और संगठन में पदों पर रहे बाबूलालजी कुशल संगठक और कर्मठ प्रशासक थे। काम करने की उनकी लगन और ललक लोगों को प्रेरणा देती थी। ईश्वर उनके परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन मध्यप्रदेश की राजनीति से एक ऐसे व्यक्ति का चले जाना है जो दली राजनीति से ऊपर प्रदेश के एक सर्वमान्य नेता थे।

मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बाबूलाल गौर के निधन पर दुख जताया है। ट्वीट कर उन्होंने कहा कि गौर जी के देहांत से मुझे गहरा दुख हुआ। राजनीतिक जीवन में हम दो ध्रुवों पर रहे लेकिन व्यावहारिक रूप से वो मेरे दिल के बेहद करीब थे। जब भी मिले पूरी गर्मजोशी के साथ मिले। जो भी किया पूरी ईमानदारी से किया। गौर साहब के जाने से मैंने एक राजनीतिक साथी खो दिया। श्रद्धांजलि!

मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा - मध्यप्रदेश की राजनीति में एक युग की समाप्ति। मध्यप्रदेश भाजपा के आधार स्तंभ, पूर्व मुख्यमंत्री, हमारे मार्गदर्शक व जन-जन के नेता श्री बाबूलाल गौर के निधन से दुःखी हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें व परिजनों को इस गहन दुःख को सहने की क्षमता प्रदान करें। ॐ शांति। आदरणीय बाबूलाल गौर को सत्य के लिए लड़ने वाले सिपाही और मज़दूरों, गरीबों व कमज़ोर वर्ग के हितों के रक्षक के रूप में सदैव याद किया जाएगा। गोवा मुक्ति आंदोलन से लेकर आपातकाल तक में पुलिस की लाठियों का निडरता से सामना करने वाले नायक युगों-युगों तक हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

मध्यप्रदेश में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि बाबूलाल गौर ने मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में अपना सर्वस्व अर्पण किया। मध्यप्रदेश के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे एक अपराजेय योद्धा रहे। उनके निधन से मध्यप्रदेश ने अद्भुत नेता खोया है।

मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने ट्वीट कर पूर्व सीएम बाबूलाल गौर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि बाबूलाल गौर जी के निधन की खबर सुनकर अत्यंत दुख हुआ, यह मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर से दिवगंत आत्मा की शांति और परिजनों के लिए संबल की कामना करता हूं।

गौर से जुड़ी यादें
इमरजेंसी और जयप्रकाश का विजयी भव: का आशीर्वाद
वर्ष 1975 यानी इमरजेंसी वाला साल. उधर जयप्रकाश नारायण का आंदोलन, जिसमें बाबूलाल गौर भी खूब एक्टिव रहे. 27 जून, 1975 को विरोध में बैठे. मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिए गए. जेल में रहे. वो जेपी की नज़रों में आ चुके थे. उनका फोन आया. कहा, चुनाव लड़ो. गौर ने कहा, लेकिन मैं तो जनसंघ का आदमी हूं. वही तय करेंगे मेरे बारे में. इसके बाद गौर ने कुशाभाऊ ठाकरे से पूछा. ठाकरे ने गेंद लाल कृष्ण आडवाणी के पाले में डाली. आडवाणी ने जयप्रकाश से बात की और नतीजा ये रहा कि अगले चुनाव में बाबूलाल जनता पार्टी से चुनाव लड़े और जीते. जेपी भोपाल आये तो गौर के सिर पर हाथ रखा. आशीर्वाद दिया. जिंदगी भर जनप्रतिनिधि बने रहने का. उस बात को 43 साल हो गए, गौर फिर कभी नहीं हारे.

बुलडोज़र मंत्री के रूप में पहचान
मध्य प्रदेश में 1990 से 92 तक सुंदरलाल पटवा की सरकार रही. बाबूलाल गौर को नया नाम दे गई, बुलडोज़र मंत्री. वो अतिक्रमण हटाने के मामले में सख्त थे. कई किस्से सुनाए जाते हैं. कैसे गौतम नगर में अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए गौर ने सिर्फ बुलडोज़र खड़ा कर के इंजन चालू करा दिया और अतिक्रमण अपने-आप गायब हो गया. वीआईपी रोड पर झुग्गियां आड़े आईं तो भी बुलडोज़र चलवाया. बुलडोज़र चलाने में अधिकारी पीछे हट जाते थे, लेकिन बाबूलाल गौर नहीं. गौर बताते हैं, बुलडोज़र रोकने को नोटों से भरे सूटकेस आते थे, लेकिन बुलडोज़र फिर भी रुकते नहीं थे.

सूझबूझ से लिया काम
गौर साहब एक किस्सा खुद सुनाते थे. बड़े ताल के किनारे झुग्गियां बसी थीं, गटर बन जाने का खतरा था. उसी बीच (अब के) तेलंगाना में हिंसा हो गई. उपद्रव संभालने CRPF के 5000 जवान लखनऊ से विजयवाड़ा जा रहे थे. बीच में ट्रेन बदली और 2 दिन उन्हें भोपाल में रुकना पड़ा. उनके रहने की व्यवस्था भोपाल में ही होनी थी. बाबूलाल गौर ने उन्हें इकबाल मैदान में रोका और बड़े ताल के पास की बस्तियों में फुल ड्रेस में मार्च करा दिया. डर बन गया. अगले दिन से अतिक्रमणकारियों ने हटना शुरू कर दिया. ये बुलडोजर सिर्फ गरीबों की बस्ती पर नहीं चलते थे. 2005 में खुद की पार्टी के नेता ने राजभवन की जमीन कब्जाने के लिए बाउंड्री खड़ी कराई, तो उस पर भी बुलडोजर चल गया.

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