26-Apr-2024

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पांच सितारा इन्वेस्टर्स मीट की परिपाटी समाप्त हुई

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मुख्यमंत्री कमलनाथ बगैर तामझाम के उद्योगपतियों से मिले और निवेश और रोजगार के अवसर तलाशे: नरेन्द्र सलूजा

भोपाल, 19 फरवरी, 2019, प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा है कि पिछली सरकार के समय पांच सितारा परंपरा के अनुरूप जो इन्वेस्टर्स मीट होती थीं, निवेश लाने के नाम पर तामझाम और प्रचार पर करोड़ों रूपये फूंक दिये जाते थे। कई विदेश यात्राएंे होती थीं। देश भर के दौरे किये जाते थे। लाल कारपेट बिछाकर देश भर के उद्योगपतियों को बुलाया जाता था। जनता को गुमराह करने के लिये निवेश और रोजगार के दावे किये जाते थे, जबकि धरातल पर स्थिति शून्य थी। न निवेश आता था न रोजगार मिलता था। सारे दावे बाद मंे धराशायी हो जाते थे। प्रदेश में निवेश के लिये न तो सकारात्मक माहौल बनाया और न ही उद्योगपतियों का विश्वास प्राप्त किया। विश्वास की कमी के कारण प्रदेश में निवेश नहीं आता था।
नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पांच सितारा इन्वेस्टर्स मीट की परिपाटी को खत्म करते हुए भोपाल के मिंटो हाॅल में उद्योगपतियों की राउंड टेबिल बैठक बगैर किसी तामझाम के आयोजित की। उद्योगपतियों को आमंत्रित कर वन-टू-वन चर्चा की, निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की, रोजगार के अवसरों पर बात की और उन्हें होने वाली दिक्कतों व परेशानियों के बारे में पूछा। प्रदेश में निवेश और रोजगार को लेकर वे सरकार से क्या उम्मीद रखते हैं, उस पर चर्चा की और सुझाव लिये। इस आयोजन के माध्यम से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बता दिया कि यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो निवेश और रोजगार को लेकर बगैर तामझाम के इस तरह के आयोजन कर काम किया जा सकता है।

मंदसौर गोलीकांड और नर्मदा किनारे वृक्षारोपण घोटाले पर सरकार का रूख स्पष्ट, दोषियों पर होगी कड़ी कार्यवाही:

प्रदेश कांगे्रस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने मीडिया में प्रकाशित एवं प्रसारित गृह मंत्री बाला बच्चन और वन मंत्री उमंग सिंघार के बयानों के संबंध में स्पष्ट किया है कि दोनों ही मंत्रियों ने पत्रकार-वार्ता के माध्यम से पार्टी व सरकार का रूख स्पष्ट करते हुए यह साफ कर दिया है कि कहीं कोई भ्रम की स्थिति नहीं है और सरकार अपने उद्देश्यों और रूख के प्रति पूरी दृढ़ता से कायम रहते हुए जांच उपरांत दोषियों पर कठोर कार्यवाही करने के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
श्रीमती ओझा ने गृह मंत्री बाला बच्चन के बयान के संबंध में स्पष्ट किया है कि श्री बच्चन ने आज 19 फरवरी को प्रेसवार्ता के माध्यम से साफ कर दिया है कि 6 जून 2017 को मंदसौर के पिप्लियामंडी में जो गोली कांड हुआ था और जिसमें 6 किसानों की मौत हुई थी, उसमें जांच रिपोर्ट के परीक्षण के उपरांत ही विधिसम्मत कार्यवाही की जायेगी। इस मामले में कांगे्रस के वचनपत्र में भी साफ है कि उक्त गोलीकांड की जांच में जितने भी सरकारी अधिकारी एवं पुलिसकर्मी दोषी पाये जायेंगे उन सब पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही करने के लिए प्रदेश की कमलनाथ सरकार वचनबद्ध है। विधानसभा के पटल पर भी रखे गये गृहमंत्री श्री बच्चन के बयान में यह साफ अंकित है कि जैन आयोग की जांच रिपोर्ट के परीक्षण उपरांत ही विधि सम्मत कार्यवाही की जायेगी। इसलिए कहीं कोई भ्रम की स्थिति नहीं है और सरकार अपने रूख पर पूरी तरह दृढ़ता से कायम है।
दूसरी तरफ नर्मदा किनारे किये गये वृृक्षारोपण में किये गये व्यय की जांच के संबंध में वन मंत्री उमंग सिंघार द्वारा विधानसभा में जो जवाब प्रस्तुत किया गया है, उस संबंध में भी मीडिया में जो खबरें प्रकाशित एवं प्रसारित हुई हैं, वे भी पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यविहीन हैं। असल तथ्य यह है कि उपर्युक्त संदर्भ में पूछे गये प्रश्न पर वन मंत्री श्री सिंघार ने विधानसभा में जो जवाब प्रस्तुत किया है, उसका केवल एक अंश ही प्रकाशित एवं प्रसारित हुआ है, जो पूरी तरह से भ्रामक है और संपूर्ण तथ्य एवं वास्तविकता को प्रस्तुत नहीं करता है। मीडिया में वनमंत्री का जो जवाब प्रकाशित-प्रसारित हुआ है वह उनका संपूर्ण जवाब नहीं है, क्योंकि उसी जबाव में उन्होंने आगे कहा है कि ‘‘विभाग द्वारा 2 जुलाई 2017 को कराये गये वृक्षारोपण की जीवितता के मूल्यांकन के पुनः परीक्षण हेतु प्रधान वन संरक्षक, मप्र एवं वन बल प्रमुख के पत्र क्रमांक 376 दिनांक 8 फरवरी 2019 द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं। पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।’’
इस जवाब से स्पष्ट है कि वृक्षारोपण की जीवितता का मूल्यांकन 2 जुलाई 2017 के मूल्यांकन के आधार पर किया गया है और ज्ञात रहे कि तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और इस महाघोटाले को छिपाना चाहती थी। वन मंत्री ने स्पष्ट रूप से 2 जुलाई 2017 के मूल्यांकन के आधार पर 16 जनवरी 2019 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक के द्वारा प्रस्तुत जवाब के प्रत्युत्तर में वृक्षारोपण के संबंध में पूरे मामले की पुनः जांच के निर्देश दिनांक 8 फरवरी 2019 को दे दिये हैं। अतः अब पूरे मामले की जांच होगी और जब उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत होगी तब यह साफ हो जायेगा कि इस महाघोटाले में दरअसल कितना भ्रष्टाचार हुआ है। श्रीमती ओझा ने कहा कि उपरोक्त दोनों ही मामलों में सरकार दोषियों को चिन्हित कर, उनपर कठोर दंडात्मक कार्यवाही करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मंदसौर के किसानों को हर हाल में न्याय मिलेगा: अभय दुबे

प्रदेश कांगे्रस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने कहा है कि मंदसौर में फसलों के दाम मांगने आए किसानों पर 6 जून 2017 को तत्कालीन भाजपा सरकार ने गोलियां से छलनी कर दिया था तब समूचा देश इस बात से उद्वेलित था कि क्या कोई सरकार इतनी निर्मम और निर्दयी हो सकती है कि अन्नदाता किसानों की जायज मांगों की एवज में उसे गोलियों से भून दे।
श्री दुबे ने कहा कि भाजपा की तत्कालीन सरकार को इस बात का आभास हो गया था कि राजनैतिक रूप से उसे किसानों के इस आक्रोश का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा इसके दृष्टिगत बीजेपी सरकार के सामान्य प्रसाशन विभाग ने 12 जून 2017 को एक सदस्यीय न्यायिक आयोग (जैन आयोग) का गठन किया था। और 5 दिसंबर 2017 को तत्कालीन कलेक्टर, एस पी एवं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस को निलंबित कर दिया था। मगर गुपचुप तरीके से इन सारे अधिकारियों को पुनः 29 जून 2018 को बहाल कर दिया गया।
अभय दुबे ने कहा कि उधर जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 11 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग को सौप दी थी जिसे 14 जून 2018 को ग्रह विभाग को सोपा गया। अभी जैन आयोग की रिपोर्ट प्रक्रियाधीन है। अंततः उसे कैबिनेट में रखा जाएगा और कैबिनेट अगर उस रिपोर्ट से सहमत होगी तो उसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा अन्यथा कांग्रेस सरकार फिर न्यायिक आयोग का गठन करेगी।
श्री दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी प्रतिबद्ध है प्रदेश के किसानों के न्याय और प्रगति के प्रति यह संभव ही नही की कमलनाथ सरकार के रहते किसानों के साथ अन्याय हो। जहाँ तक विधानसभा में दिए गए उत्तर का प्रश्न है की मंदसौर के गोली कांड में क्लीन चिट देने का सवाल ही नहीं उठता जब तक जैन आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा कैबिनेट में नहीं की जाती और अगर रिपोर्ट में किसानों के साथ न्याय नहीं किया गया होगा तो पुनः न्यायिक आयोग को गठित करने का वचन हमने अपने वचन पत्र में दिया है।
अभय दुबे ने कहा कि वहीं यह भी कहाँ जा रहा है कि नर्मदा किनारे वृक्षारोपण पर भी विधानसभा के जवाब में क्लीन चिट दी गई है तो यहाँ यह स्पष्ट है कि अभी जानकारी संकलित की जा रही है तत्पश्चात जाँच करा कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

मोदी सरकार में बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ी, सरकार के पास कोई रिपोर्ट नहीं: धनोपिया

प्रदेश कांगे्रस प्रवक्ता जे पी धनोपिया ने कहा है कि मोदी सरकार के राज में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के संबंध में मोदी सरकार के पास कोई दस्तावेज नहीं है जिससे यह पता चले कि तथाकथित आर्थिक वृद्धि का रोजगार पर कितना प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री आर्थिक वृद्धि को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन यह बताने में नाकाम साबित हुए हैं कि आर्थिक वृद्धि के कारण रोजगार कितना बढ़ गया? किन-किन क्षेत्रों में बढ़ा और कितने युवाओं को रोजगार दे पाए?
धनोपिया ने कहा कि मोदी सरकार रोजगार संबंधी आंकड़ों को जनता के सामने आने नहीं देना चाहती क्योंकि इससे उनकी पोल खुलेगी । उन्होंने कहा कि रोजगार के संबंध में प्रामाणिक आकड़े देने वाली कोई रिपोर्ट फिलहाल सरकार के पास उपलब्ध नहीं है । उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारें सिर्फ प्रचार पर चलती हैं और झूठे आंकड़ों का प्रचार करती रहती हैं।
जे.पी. धनोपिया ने शिवराज सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा कि शिवराज सरकार ने भी रोजगार के आंकड़े नहीं बताये जबकि बेरोजगारी आँकड़ा 52 लाख से ऊपर पहुंच चुका था । बदनामी से बचने के लिए सरकार जाने के आखिरी सालों में जल्दबाजी में युवाआंे को रिझाने युवा उद्यमिता और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार सहायता योजना जैसी योजनाएं लागू कर दीं। ये योजनाएं विकराल हो चुकी बेरोजगारी की समस्या का हल निकालने में सक्षम साबित नहीं हो पाईं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि मोदी सरकार के झूठे आंकड़ों से भ्रम में नही आयें।

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