Publish Date:10-Jan-2019 20:05:25
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यूथ फॉर इक्वेलिटी नामक ग्रुप और डॉ कौशल कांत मिश्रा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय किए गए 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करता है।
गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा है कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती।
बता दें कि सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है। मंगलवार को लोकसभा में हुई लंबी बहस के बाद 323 सांसदों ने समर्थन किया था। वहीं, तीन सांसदों ने बिल का विरोध किया था। राज्यसभा में बुधवार को बिल पेश किया गया जिसके बाद पास हुआ। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 165 मत पड़े और विरोध में सात वोट पड़े।
पीएम ने बताया था सामाजिक न्याय की जीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आरक्षण विधेयक के पारित होने को सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि यह देश की युवा शुक्ति को अपना कौशल दिखाने के लिए व्यापक मौका सुनिश्चित करेगा तथा देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा। पीएम मोदी ने कई ट्वीट में लिखा, 'खुशी है कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया है जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संविधान में संशोधन करता है। मुझे देखकर प्रसन्नता हुई कि इसे इतना व्यापक समर्थन मिला। '
साभार- लाइव हिन्दुस्तान