27-Apr-2024

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बैंक कर्मियों ने दिया इंकलाबी धरना, किया प्रदर्शन

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आॅल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन, आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन, आॅल इंडिया देना बैंक एम्प्लाईज को-आर्डीनेशन कमेटी एवं आॅल इंडिया देना बैंक आॅफिसर्स यूनियन के  आव्हान पर केन्द्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग उद्योग, विशेष रूप से देना बैंक के ऊपर हमला करने वाली नीतियों के खिलाफ गुरूवार को दोपहर 12ः00 बजे से 3ः00 बजे तक सैकड़ों बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक तिराहा, होशंगाबाद रोड, भोपाल के सामने इंकलाबी धरना देकर प्रदर्शन एवं सभा का आयोजन किया। रंग-बिरंगे पोस्टर्स, प्ले कार्डस एवं बैनरों ने धरना स्थल को इंकलाबी स्वरूप प्रदान कर दिया था। आन्दोलित बैंक कर्मी 1. ”दैना बैंक की हत्या न करने, 2. ऋण देने पर लगी रोक को हटाने, 3. खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाने, 4. लम्बित अनुकम्पा नियुक्तियाँ शीघ्र करनें की माँग एवं अविवेकपूर्ण तरीके से की जा रही शाखा बन्दी का, अनुकम्पा नियुक्ति पर लगी रोक का, महिलाओं अधिकारियों के भेदभाव एवं नीति विरूद्ध किए गए स्थानांतरणों का विरोध कर रहे थे।

धरना, प्रदर्शन एवं सभा को बैंक अधिकारी, कर्मचारी श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों साथी एम.जी. शिन्दे, वी.के. शर्मा, डी.के. पोद्दार, राजीव रिसोदकर, दीपक रत्न शर्मा, जे.पी. झंवर, गुणशेखरन, एम.एस. जयशंकर, जे.पी. दुबे, प्रभात खरे, अशोक पंचोली, सत्येन्द्र चैरसिया, जे.डी. मलिक, एन.ए. कोल्हे, के.सी. लाल, अशोक वाजपेयी, एस.पी. चिने आदि ने सम्बोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र का एक पुराना बैंक ”देना बैंक“ केन्द्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक के निशाने पर है। वर्तमान में इनके निर्देश एवं नीतियों के कारण देना बैंक समाप्त होने की कगार पर है। एक तरह से देना बैंक की सरेआम हत्या करने के प्रयास जारी हैं। ज्ञात हो कि 19 जुलाई 1969 को देना बैंक का राष्ट्रीयकरण हुआ था, तब से लेकर अब तक इस बैंक ने देश के विकास एवं सामाजिक दायित्वों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेशों में देना बैंक एक प्रभावशाली भूमिका में है, जहाँ प्राथमिकता क्षेत्र के प्रति इसका दायित्व है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी पी.ए.सी. की सूची में 11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल हैं, जिसमें एक देना बैंक भी है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अकेले देना बैंक के ऋण कारोबार एवं नये ऋण स्वीकृत करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि यह प्रतिबंध आगे भी जारी रहता है तो बैंक का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। बैंक में अविवेक रूप से शाखाबंदी भी जारी है। अनुकम्पा नियुक्ति पर रोक लगा रखी है, महिला अधिकारियों के स्थानांतरण भेदभाव रूप से करके उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे कि वे वी.आर.एस. लेने पर मजबूर हों। बैंक की खराब स्थिति के लिए लगातार खराब ऋणों में हो रही वृद्धि जिम्मेदार है। वर्तमान में बैंक में करीब 22 प्रतिशत ऋण जो कि 16500 करोड़ है, खराब ऋणों में फंसा हुआ है, इसमें से करीब 13000 करोड़ रूपये बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों एवं कारपोरेट के नामे है। इन खराब ऋणों की वसूली के लिए किसी भी तरह के कठोर एवं कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे, जबकि संगठन द्वारा बार-बार यह माँग उठाई जा रही है कि बैंकों में जमा धन आम जनता का है इसका उपयोग देश के विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए न कि कारपोरेट लूट के लिए। संगठन ने केन्द्र सरकार एवं वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वे रिजर्व बैंक से ऋण प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने तथा उसे हटाने के लिए आदेशित करें, जिससे कि देना बैंक का कारोबार सुचारू रूप से प्रारंभ हो सके।बैंक के अधिकारी एवं कर्मचारी देना बैंक की बेहतरी तथा बैंक के विकास एवं उत्तम ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए कृत संकल्पित है।

यदि माँगों के ऊपर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया गया तो आगे आने वाले दिनों में आन्दोलन को और तीव्र किया जावेगा। धरना, प्रदर्शन एवं सभा में बैंक कर्मचारी अधिकारी नेतागण साथी एम.जी. शिन्दे, वी.के. शर्मा, डी.के. पोद्दार, राजीव रिसोदकर, दीपक रत्न शर्मा, जे.पी. झंवर, गुणशेखरन, एम.एस. जयशंकर, जे.पी. दुबे, प्रभात खरे, अशोक पंचोली, सत्येन्द्र चैरसिया, जे.डी. मलिक, एन.ए. कोल्हे, के.सी. लाल, अशोक वाजपेयी, एस.पी. चिने, सी.एस. शर्मा, जी.बी. अणेकर, जे.पी. जैन, सुदेश कल्याणे, कैलाश पतकी, अरविंद गार्गव, रितेश शर्मा, एस. कृष्णनानी, भगवानदास रायकवार, मोहन कल्याणे, वी.पी. गौर, विशाल धमेजा, पुरूषोत्तम, महेश जिज्ञासी, प्रभात सक्सेना, मनीष जैन, रवि कुमार, रितेश भाई, जिनेन्द्र राठौर, अर्जुन सिंह बड़ंगा, अशोक कनेरिया, दीपक चैहान, शैलेन्द्र कुड़पे, शिवम दुबे, एच.एन. बाथम, रमेश चांदोलकर, दिगम्बर, राजेन्द्र भाई, जितेन्द्र लिखार, आनन्द लिखार, शेखर गोंगे, खालिद सिद्धीकी, नरेश सदानी, दीपक कनोजिया, दीपक भाई, अनिल गढ़वाल, कृष्णा मांझी, श्रीमती चित्रा बोडके, हेमा वर्मा, कीर्ति मिश्रा, रूचि शाही, अनिता रावत, गजानंद रजक, चुन्नी बेलानी, शैलेन्द्र शीतल, प्रकाशरत्न पारखे, करण कीर आदि उपस्थित थे।

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