Publish Date:10-Jan-2019 14:19:25
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक बार फिर सुनवाई 29 जनवरी तक टल गई है. अब 29 जनवरी को नई बेंच सुनवाई करेगी क्योंकि पांच जजों के संविधान पीठ में से जस्टिस ललित ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. जिसके बाद बेंच ने सुनवाई 29 जनवरी तक टाल दी.
दरअसल, सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित पर सवाल उठाए. राजीव धवन ने कहा कि यह बेंच सुनवाई नहीं कर सकती क्योंकि इसमें जस्टिस यूयू ललित शामिल हैं. जस्टिस ललित यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील रह चुके हैं और उनकी तरफ से कोर्ट में एपियर हो चुके हैं. जिसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को केस से अलग कर लिया. साथ ही राजीव धवन ने डाक्यूमेंट्स के ट्रांसलेशन को लेकर भी दलील दी. दस्तावेजों का फिर से ट्रांसलेशन होना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ तथ्यात्मक गलतियां है. जिसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने रजिस्ट्री को ट्रांसलेशन की कॉपी 29 जनवरी तक सौंपने के आदेश दिए. अब नए बेंच का भी गठन किया जाएगा.
मामले में हिंदू पक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष शुरुआत से ही मामले को टालने पर लगा हुआ है. एक बार फिर टेक्निकल ग्राउंड पर मामले को टालने की बात कही गई है. वकील का कहना था कि जस्टिस ललित जिस मामले में कल्याण सिंह के लिए खड़े हुए थे, उसका इस केस से कोई लेना देना नहीं है. जहां तक दस्तावेजों के ट्रांसलेशन की बात है तो वह पहले ही पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि 29 जनवरी को फिर सुनवाई होगी, लेकिन उम्मीद है कि एक बार फिर सुनवाई टल जाए.
कौन हैं अयोध्या मामले में सुनवाई से अलग हुए जस्टिस यू यू ललित?
अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 29 जनवरी तक के लिए टल गई है. कारण था, ऐन मौके पर जस्टिस उदय उमेश ललित का बेंच से हटना. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब सुनवाई की तारीख को टालने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है.
जस्टिस यूयू ललित जाने-माने वकील रहे हैं और सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापित फर्जी एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का पक्ष रख चुके हैं. इसके अलावा वो काले हिरण के शिकार के मामले में एक्टर सलमान खान, भ्रष्टाचार मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, जन्मतिथि केस में जनरल वीके सिंह की भी पैरवी कर चुके हैं. जस्टिस ललित तीन तलाक को अंसवैधानिक करार देने वाली पीठ में भी शामिल थे.
इनका जन्म दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस यूआर ललित के घर 9 नवंबर 1957 को हुआ. कानून की पढ़ाई करने के बाद जून 1983 से बॉम्बे हाईकोर्ट में इन्होंने बतौर वकील अपने करियर की शुरूआत की. लेकिन तीन सालों बाद 1986 में ये दिल्ली आ गए और दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी. एक लंबे समय तक वकालत का अनुभव को देखते हुए उन्हें साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील के रूप में नॉमिनेट कर दिया गया. इस दौरान उन्होंने सीबीआई की तरफ से 2जी केस लड़ा और कई दूसरे खास मामलों में एमिकस क्यूरी भी रहे. इसके अलावा वो दो टर्म तक लगातार सुप्रीम कोर्ट के लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य रहे. 13 अगस्त 2014 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
साभार- न्यूज 18