Publish Date:04-Jun-2019 15:46:41
लोकसभा चुनाव 2019 सम्पन्न हो चुके हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत की इबारत लिखी. बीजेपी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने कुल 353 सीटें जीत लीं. अकेले बीजेपी ने भारत की कुल 542 सीटों पर हुए चुनाव में से 303 सीटें जीतकर विपक्ष को धराशाई कर दिया. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की नई सरकार का गठन भी हो गया है. इस तरह की सारी जानकारियां अब आम हो गई हैं. लेकिन एक रिसर्च में आम चुनाव 2019 के बारे में ऐसी जानकारी का खुलासा किया है जो अब भी आपको चौंका देगा.
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) ने लोकसभा चुनावों के खर्चों पर एक रिसर्च प्रकाशित की है. इसके अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 60 हजार करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए गए. इस लिहाज से देखें तो औसतन हर वोट के पीछे 700 रुपये खर्च किए गए.
सांसद जी ने कितना खर्च किया
सीएमएस के अध्ययन के अनुसार भारत के सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों में कमोबेश सभी में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर दिए गए. यहां तक कि इस बार चुनाव में महज एक सीट पर ही चुनाव रद्द किया गया और इसके पीछे लोकसभा क्षेत्र में पैसे की अनियमितता ही रही. चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के वेल्लोर में चुनाव के दौरान काफी मात्रा में पैसे जब्त किए और चुनाव रद्द किया. ऐसे में कुल 542 सीटों पर ही चुनाव हुए. लेकिन इन 542 सीटों पर ही लोकसभा के उम्मीदवार 60 हजार करोड़ रुपये तक खर्च कर डाले.
इस चुनाव को भारतीय इतिहास का सबसे महंगा चुनाव माना जा रहा है. इतना ही नहीं अब तक के सबसे महंगे चुनाव के रिकॉर्ड को इस चुनाव ने चकनाचूर कर दिया है. अब तक का सबसे महंगा चुनाव लोकसभा चुनाव 2014 था. इसमें कुल 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. लेकिन आम चुनाव 2019 पर इसके दोगुने से ज्यादा खर्च पर हुआ.
भारत ही नहीं दुनिया का सबसे महंगा चुनाव
सीएमएस का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2019 भारत का ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे महंगा चुनाव था. आज तक पूरी दुनिया में इतने ज्यादा पैसे खर्च कर किसी देश के उम्मीदवारों ने चुनाव नहीं लड़ा. यह पहली बार था जब किसी देश के चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए.
कहां-कहां खर्च हुए ये पैसे
सीएमएस की रिसर्च में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 60 हजार करोड़ रुपये का खर्च किन-किन मदों में हुआ है. रिपोर्ट दावा करती है कि आम चुनाव 2019 में वोटरों को 12 से 15 हजार करोड़ रुपये बांट दिए गए. ये पैसे कैश और कई बार खिलाने-पिलाने पर खर्च हुए. जबकि उम्मीदवारों ने अपने विज्ञापनों पर करीब 20 से 25 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए. इसके अलावा अपने आंकड़े खरीदने आदि पर प्रत्याशियों ने करीब 5 से 6 हजार करोड़ रुपये लगा दिए.
इसके अलावा प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग की अनुमति से किए जाने वाले खर्चों के हिसाब से 10 से 12 हजार करोड़ रुपये खर्च कर डाले. जबकि वाहनों में पेट्रोल आदि व छोटे-छोटे दूसरे खर्चों के तौर पर भी करीब सबने पांच से छह करोड़ रुपये खर्च किए. इन आंकड़ों पर जोड़ने पर यह राशि करीब 55 से 60 हजार करोड़ पहुंच जाती है.
चुनाव आयोग कितने रुपये खर्च करने की देता है अनुमति
लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग एक उम्मीदवार को 70 लाख रुपये चुनाव प्रचार में खर्च करने की अनुमति देता है. ऐसे में अगर इस बार मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों का आंकड़ा निकाल लें तब भी यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ से आगे नहीं जाता. लेकिन इन चुनाव में उम्मीदवारों ने अपनी वैध सीमा से करीब पांच गुना पैसा ज्यादा खर्च किया.
साभार- न्यूज 18