Publish Date:19-Apr-2018 12:30:44
नासिक के करेंसी नोट प्रेस में इंक की कमी से 200 और 500 रुपए के बैंक नोटों की छपाई बंद हो गई है. प्रेस वर्कर्स फेडरेशन के प्रेसिडेंट जगदीश गोडसे ने संवाददाताओं से बातचीत में यह दावा किया है. अगर ऐसा है तो पहले से कैश की भारी किल्लत से जूझ रहे लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है. देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में एटीएम बंद हैं, जिससे हाहाकार मचा हुआ है. हालांकि सरकार ने दावा किया है कि यह समस्या 2-5 दिनों में दूर हो जाएगी, लेकिन अगर प्रिंटिंग प्रेस ही नहीं चले तो समस्या लंबी खिंच सकती है.
गोडसे ने कहा कि नोटों की छपाई में आयातित स्याही का इस्तेमाल होता है जो अभी उपलब्ध नहीं है. इससे 200 रुपये और 500 रुपये के नोटों की छपाई रुक गई है. उनके अनुसार देश भर में नकदी की कमी की समस्या के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है. हालांकि इस मामले में अब तक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है.
हालांकि गोडसे यह स्पष्ट नहीं किया कि नोटों की छपाई कब से बंद है. उन्होंने यह बात ऐसे समय की है जब सरकार ने एक ही दिन पहले 500 रुपये के नोटों की छपाई पांच गुना करने का आदेश दिया था. इससे उसे उम्मीद है कि अगले महीने 75 हजार करोड़ रुपये के नये नोटों की आपूर्ति हो जाएगी. सरकार ने कैश की कमी की ये वजहें गिनाई हैं. सरकारी सूत्रों का कहना है कि कई राज्यों में बैसाखी, बिहू और सौर नव वर्ष जैसे त्योहार होने की वजह से लोगों को ज्यादा नकदी की जरूरत थी. लोग नकदी का जमावड़ा न करने लगें और अफरा-तफरी न मचे, इसके लिए वित्त मंत्रालय ने तत्काल रिजर्व बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक की. सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने विभिन्न राज्यों के अधिकारियों और बैंक प्रमुखों से परामर्श भी किया. यही कारण है कि एक महीने जहां अमूमन 20 हजार करोड़ रुपए कैश निकाला जाता है, जबकि पिछले 12-13 दिनों में ही सिर्फ 45 हजार करोड़ रुपए का कैश निकाला गया है.
इसके अलावा कर्नाटक में चुनाव करीब हैं, इसलिए वहां भी नकदी की मांग काफी बढ़ गई है. फसल के समय किसानों द्वारा भी नकदी की निकासी बढ़ जाती है. कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, इसकी वजह से इस मसले पर तत्काल राजनीति भी शुरू हो गई. कुछ लोग कालाबाजारी और मुनाफाखोरी भी कर रहे हैं. वे लोगों से इलेक्ट्रॉनिकली पैसे लेकर 5 से 10 फीसदी मार्जिन पर कैश दे रहे हैं. यह भी कैश कम होने का एक कारण है. बैंकिंग अव्यवस्था भी इसका एक कारण है. इसके कारण कुछ राज्यों में जहां अधिक कैश है, वहीं कुछ राज्यों में जरूरत से कम है.
साभार- न्यूज 18